नई दिल्ली : विदेश मंत्रालय और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने आज प्रवासी कौशल विकास योजना (skill development scheme) को लागू करने के लिए एक समझौते (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
इस योजना के तहत विदेशों में नौकरी की तलाश कर रहे भारतीय कारीगरों को कौशल विकास पेशकश की जाएगी। इस सहमति पत्र के तहत एक एेसा ढांचा तैयार किया जाएगा जो हर साल लाखों की संख्या में विदेश जाने वाले भारतीय कारीगरों को कौशल प्रशिक्षण (skill training) प्रदान करेगा। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मौके पर कहा कि नौकरी देने वाले एजैंटों की मदद से खाड़ी देशों में नौकरी करने जाने वाले प्रवासी भारतीयों को कई बार शोषण का शिकार होना पड़ता है क्योंकि उनके पास जरूरी कौशल नहीं होता है। उन्होंने कहा कि एेसे में प्रवासी कौशल विकास योजना विदेशों में काम की तलाश करने वाले भारतीय कार्यबल के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।
इस योजना के तहत हासिल कौशल से उनकी रोजगार योग्यता और कमाई की क्षमता बढ़ेगी। एक वक्तव्य में कहा गया है कि इस योजना के लिए विदेश मंत्रालय और कौशल विकास एवं उद्यम मंत्रालय ने आपस में साझेदारी की है और इसके तहत चुनींदा क्षेत्रों और रोजगारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रशिक्षण एवं प्रमाणन दिया जाता है।
विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश्वर एम. मुले ने कहा, ‘‘हर साल 7 से 8 लाख कर्मी विदेश जाते हैं। इनमें से ज्यादातर जो खाड़ी देशों को जाते हैं उन्हें उस देश के नियम, भाषा, संस्कृति की पूरी जानकारी नहीं होती है, यहां तक कि किसी खास कारोबार के लिए जो कौशल चाहिए होता है वह भी उनके पास नहीं होता है।’’ एसे में प्रवासी कौशल विकास योजना विदेश मंत्रालय का महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसके तहत इन कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाता है।
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