नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने भिखारियों के पुनर्वास का फैसला लिया है। इसके लिए समाज कल्याण विभाग कौशल विकास केंद्रों में उन्हें प्रशिक्षण देने की योजना तैयार की है। इस प्रयास के तहत बुधवार को समाज कल्याण विभाग ने टाटा ग्रुप के सामाजिक संगठन के माध्यम से कार्यशाला आयोजित की। इसका उद्घाटन करते हुए समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र गौतम ने कहा कि विभाग ने ऐसे लोगों के पुनर्वास की योजना तैयार की है जो स्वैच्छिक तौर पर व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर पुनर्वास कराना चाहते हैं। इन्हें भी सम्मानपूर्वक जीवन जीने का पूरा अधिकार है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत कोशिश नाम से टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर पुनर्वास केंद्र बनाएंगे जहा ऐसे लोगों को परामर्श और व्यावसायिक प्रशिक्षण मिलेगा। इन्हें रोजगार से जोड़ने का प्रयास भी किया जाएगा। सरकार का प्रयास है कि कोई भी व्यक्ति मजबूरी के कारण भीख न मांगे।
मंत्री ने बताया कि इन लोगों के लिए कौशल विकास केंद्र के तहत सक्षम प्रोजेक्ट लागू किया जाएगा, जिसमें छोटे बच्चों के परिवारों को प्रति बच्चा दो हजार रुपये प्रति माह राशि दी जाएगी। यह राशि तभी मिलेगी जब बच्चा अनिवार्य तौर पर स्कूल जाए। वहीं 18 वर्ष से अधिक उम्र के युवाओं के लिए गौरव नाम से योजना शुरू की जाएगी। इसमें भीख मांगने वालों को 250 रुपये प्रति दिन के आधार पर राशि दी जाएगी। बदले में उन्हें कौशल विकास केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा। उन्होंने कहा कि भिखारियों के लिए अब तक की सरकारें योजनाएं बनाती रही हैं, लेकिन कोई ठोस नीति नहीं बनी। इस योजना के तहत न केवल बच्चों का कौशल विकास होगा बल्कि उन पर नजरे भी रखी जाएंगी कि भविष्य में वह फिर से इस कार्य में लिप्त न हों। इसकी निगरानी के लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी भी बनाई जाएगी।
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