नमामि गंगे की सफलता के लिए जल संसाधन और कौशल विकास मंत्रालय आए साथ

नई दिल्ली : केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय नमामि गंगे कार्यक्रम की सफलता के लिए केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के साथ आज नई दिल्ली में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया।

इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य सीवर पाइप लाइन बिछाने, नलसाजी के कार्य, शौचालयों के निर्माण, राजमिस्त्री के कार्य, अपशिष्ट संग्रहण और उसके निपटान की गतिविधियों का संचालन करना है। यह फूलों,पत्तियों, नारियल, बाल जैसी पवित्र वस्तुओं और प्लास्टिक के थैलों तथा बोतलों आदि से उत्पाद तैयार करने और उनकी उचित पैकेजिंग तथा ऐसे उत्पादों के प्रचार के भी कौशल विकसित करेगा।

समझौता ज्ञापन के अनुसार केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय गैर-पेयजल उपयोगों के लिए एसटीपी/ईटीपी की ओर से छोड़े जाने वाले उपचारित अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग/पुनर्चक्रण के लिए बाजार विकसित करेगा। मंत्रालय नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा संचालित की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों के लिए राज्य सरकारों और राज्यस्तरीय कार्यान्वयन एजेंसियों के बीच उचित समन्वयन और सहायता भी सुनिश्चित करेगा। मंत्रालय नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत कवर होने वाले 60 जिलों के प्रधानमंत्री नमामि गंगे कौशल केंद्रों के सृजन के लिए संसाधन भी जुटाएगा।

केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय पैकेजिंग और औद्योगिक उत्पादों के विकास जैसी परंपरागत गतिविधियों के लिए क्षमता निर्माण हेतु कार्यक्रम विकसित करने की पहल करेगा। यह गंगा के घाटों से फूलों, पत्तियों, नारियल, बाल जैसी पवित्र वस्तुओं और प्लास्टिक के थैलों तथा बोतलों आदि जैसी अपशिष्ट सामग्री से उत्पाद तैयार करने के कौशलों का विकास करने की पहल करेगा।

मंत्रालय सीवर पाइप लाइन बिछाने, नलसाजी के कार्य, शौचालयों के निर्माण, राजमिस्त्री के कार्य, अपशिष्ट संग्रहण और उसके निपटान (वैज्ञानिक रूप से) तथा निर्माण संबंधी गतिविधियों के दौरान स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबंधित अन्य पहलुओं के बारे में प्रशिक्षण संबंधी गतिविधियों का संचालन करने के लिए क्षेत्र में लोगों के बीच कौशलों का विकास करने की भी पहल करेगा। वह स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन के संबंध में उपरोक्त वर्णित गतिविधियों के अलावा क्षेत्र में संभावित कौशल विकास गतिविधियों की पहचान के लिए सर्वेक्षण कराने की भी पहल करेगा। यह समझौता ज्ञापन 3 वर्ष की अवधि तक प्रभावी रहेगा। इसके बाद दोनों मंत्रालयों की परस्पर सहमति से इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है।

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