आर्मी यूनिफॉर्म सिलने वाले करीब 4500 टेलरों की स्किलिंग करेगा कौशल विकास मंत्रालय

नई दिल्ली: ‘मैं तो रिटायरमेंट ले लूंगा। मेरे जैसे कितने रिटायरमेंट के करीब पहुंच गए हैं, वो लोग भी रिटायरमेंट लेने की ही सोच रहे हैं। अभी ट्रेनिंग करने का मन नहीं है।ये कहना है शाहजहांपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में काम करने वाले 55 वर्षीय टेलर श्यामदास (बदला हुआ नाम) का। गौरतलब है कि ऑर्डिनेंस क्लोदिंग फैक्ट्री में काम करने वाले टेलरों की ट्रेनिंग के लिए कौशल विकास मंत्रालय और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड(ओएफबी) के बीच एक एमोयू साइन होने वाला है। इस एमओयू के बाद ओएफबी के करीब 4500 टेलरों की स्किलिंग की जाएगी। ये टेलर पिछले साल तक आर्मी की यूनिफॉर्म बनाते थे। लेकिन, रक्षा मंत्रालय ने आर्मी यूनिफॉर्म और बूटों की खराब क्वालिटी का हवाला देते हुए ओएफबी से ये सर्विस बंद करने की बात कही थी।

श्यामदास कहते हैं, ‘अभी भी थोड़ा बहुत काम तो मिल ही रहा है। आठ घंटे की ड्यूटी होती है। पहले ओटी (ओवर टाइम) मिल जाता था अब जब आर्मी धीरेधीरे यहां अपना टेंडर कम कर ही रही है तो कर्मचारियों की संख्या भी कम की जाएगी। जब काम नहीं है तो कर्मचारियों का क्या करेंगे।

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पिछले 70 सालों से ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड ही आर्मी को बूट और यूनिफॉर्म से लेकर टैंक्स और टेंट तक उपलब्ध कराता रहा है। लेकिन, आर्मी के फैसले के एक साल बाद कौशल विकास मंत्रालय इन टेलरों को मैन्युफैक्चरिंग ट्रेनिंग देने का फैसला किया है। ये जानकारी डायरेक्टोरेट जनरल ट्रेनिंग (डीजीटी) के डिप्टी डायरेक्टर ट्रेनिंग दीपांकर मलिक ने दिप्रिंट को देते हुए कहा, ‘पिछले 2-3 महीने से इसपर काम चल रहा है। आने वाले कुछ दिन के भीतर कौशल विकास मंत्रालय और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के बीच एक एमओयू साइन हो जाएगा।

दिप्रिंट से हुई बातचीत में शाहजहांपुर फैक्ट्री के एक अन्य टेलर बताते हैं, ‘फैक्ट्री में टेलरों की आखिरी भर्ती 1985 में हुई थी। बहुत से लोग रिटायर हो रहे हैं। जो लोग नए भर्ती हुए होंगे, उनके लिए तो अच्छा ही है।

मंत्रालय के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने नाम छापने की शर्त पर डिटेल्स शेयर करते हुए कहा, ‘भारत सरकार द्वारा ओएफबी से यूनिफॉर्म नहीं लेने के फैसले के बाद टेलरों के पास कुछ खास काम तो बचा नहीं है। उन्हें सीलने के अलावा कोई दूसरी स्किल नहीं आती है। ऐसे में उन्हें किसी दूसरे काम में लगाने के लिए उनका स्किलिंग कोर्स कराना आवश्यक है। लेकिन ये स्किलिंग उन्हीं की होगी जो समर्थ हैं। अब इनकी रूचि और उम्र को ध्यान में रखते हुए ही मैन्युफैक्चरिंग कोर्स तैयार किया जाएगा। ओएफबी हमें उनके एस्सेमेंट की एक रिपोर्ट सौंपेगा, जिसके हिसाब ही हम कोर्स कंटेंट तैयार करेंगे।

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ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के तहत देशभर में फैली 41 ऑर्डनेंस फैक्टरी हैं जो आर्मी को टैंक से लेकर टैंट, बूट और यूनिफॉर्म उपलब्ध कराती हैं। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक ओएफबी को मिलने वाले टेंडर में 80 प्रतिशत ऑर्डर आर्मी की तरफ से रहे हैं।

ओएफबी के पीआरओ गगन चतुर्वेदी ने इस संदर्भ में दिप्रिंट को बताया, ‘किसको इलेक्ट्रिशियन का कोर्स कराना है और किसको फिटर का, ये रिपोर्ट अभी तैयार की जा रही है, ज्यादा डिटेल्स काम पूरा होने के बाद ही पता चल पायेगी।

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