राज्य सरकार के सीमित संसाधनों को दृष्टिगत रखते हुए एवं निजी शिक्षा/प्रशिक्षण प्रदायकर्ताओं के अनुभव एवं क्षमताओं का लाभ लेने की दृष्टि से तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास में निजी निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा। कौशल विकास के अवसरों में तीव्र वृद्धि एवं उसकी पहुंच तथा दायरे में विस्तार के लिए निजी निवेश की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
राष्ट्रीय स्तर के अनेक औद्योगिक संगठनों के मतानुसार वर्तमान में तकनीकी शिक्षण संस्थाओं द्वारा प्रशिक्षित की जा रही जनशक्ति बाजार एवं उद्योगों की मांग के अनुरूप तथा अपेक्षित गुणवत्ता की नहीं है। आज भी अनेक ऐसे व्यवसाय के क्षेत्र हैं जिनमें अत्यधिक मांग है परन्तु मांग के अनुरूप प्रशिक्षण देने की क्षमता नहीं है अथवा संस्थाओं में उसके अनुरूप पाठ्यक्रम उपलब्ध नहीं है। अतः मांग और पूर्ति में समन्वय स्थापित किया जाना समय की आवश्यकता है। इसकी पूर्ति के लिए ही यह योजना प्रस्तावित की गई हैं।
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