पूरी तरह खत्म कर सकती है ओपीटी, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड जैसे देशों का रुख कर सकते हैं भारतीय छात्र

अगर आप अमेरिका में पढ़ाई की योजना बना रहे हैं तो आपकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित के विदेशी छात्रों को पढ़ाई के बाद प्रशिक्षण की अवधि (ओपीटी) में विस्तार के प्रस्ताव को खत्म करने की योजना बनाई है। इससे ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड जैसे देशों को फायदा हो सकता है जिनकी आव्रजन नीति विदेशी छात्रों के अनुकूल है।

ओपीटी विदेशी छात्रों को छात्र वीजा के तहत पढ़ाई के बाद 6 से 12 महीने तक अमेरिका में रहने का मौका देता है। विदेशी छात्र इस सुविधा का इस्तेमाल नौकरी तलाशने या फिर आगे की पढ़ाई के लिए करते हैं। या फिर वे इस दौरान इधर-उधर घूमते रहते हैं। ओबामा प्रशासन ने इस अवधि को तीन साल तक बढ़ाने की योजना बनाई थी लेकिन चुनावों के कारण वह इसे अंजाम तक नहीं पहुंचा पाया। अब ट्रंप प्रशासन ने इस योजना को खत्म करने के लिए एक मसौदा तैयार किया है। इतना ही नहीं, अगर कुछ भारतीय शिक्षा सलाहकार कंपनियोंं की मानें तो नई सरकार ओपीटी को ही पूरी तरह खत्म कर सकती है जिससे अमेरिका में पढ़ाई की योजना बना रहे विदेशी छात्र प्रभावित हो सकते हैं।

इसका मतलब यह हुआ कि अब भारतीय छात्रों को अमेरिका जाने से पहले ही अपनी नौकरी का इंतजाम कर लेना होगा या फिर ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड जैसे देशों का रुख करना होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक दूसरा विकल्प ही ज्यादा बेहतर है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देश दो से चार वर्ष तक का ओपीटी देते हैं। इस तरह छात्रों के पास नौकरी ढूंढने और कार्य वीजा हासिल करने के लिए पर्याप्त समय होता है।

ट्रंप प्रशासन के इस कदम से अमेरिका जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या प्रभावित हो सकती है। ओपन डूअर्स रिपोर्ट ऑन इंटरनैशनल एजुकेशनल एक्सचेंज के मुताबिक अकादमिक वर्ष 2015-16 में अमेरिका जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 25 फीसदी बढ़कर 165,000 पहुंच गई थी। यह अमेरिका में विदेशी छात्रों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। अमेरिका में हर 6 विदेशी छात्रों में एक भारतीय है।

ट्रंप प्रशासन के इस कदम को प्रतिकूल बताते हुए केएमपीजी के पार्टनर ऐंड लीडर फॉर एजुकेशन ऐंड स्किल डेवलपमेंट सेक्टर नारायण रामास्वामी ने कहा कि अमेरिका की समृद्घि में विदेशी प्रतिभाशाली छात्रों का भी योगदान है जो अब प्रभावित हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘इसका तुरंत प्रभाव यह होगा कि बहुत से विदेशी छात्र अमेरिका में पढऩे की अपनी योजना पर पुनर्विचार करेंगे जिससे अमेरिका में विदेशी छात्रों की संख्या प्रभावित होगी। मुझे लगता है कि अमेरिका के विश्वविद्यालयों को यह कदम अच्छा लगेगा। लेकिन छात्रों के लिए दुनिया यहीं पर खत्म नहीं हो जाती है क्योंकि उनके पास कई विकल्प उपलब्ध हैं। अब उनके लिए कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालय ज्यादा आकर्षक होंगे। अगर भारत में चीजें सही हो जाती हैं तो वह इन छात्रों को रोक सकता है और यहां विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय बना सकता है।’

अमेरिका जाने वाले 165,000 भारतीय छात्रों में से करीब 65 फीसदी विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित की पढ़ाई के लिए जाते हैं। इनमें से करीब 75 फीसदी ओपीटी सुविधा का लाभ उठाते हैं। शिक्षा सलाहकारों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों के लिए जानकारी जुटाने का सिलसिला पहले ही बढ़ चुका है। छात्रों विदेशी में पढ़ाई करने के लिए सलाह देने वाली कंपनी बीईसी के संस्थापक निदेशक बाला रामलिंगम ने कहा, ‘अमेरिका जाने की योजना बनाने वाले छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आएगी। दिसंबर से ऐसा रुझान देखने को मिल रहा है कि छात्र अमेरिका के बजाय ऑस्ट्रेलिया और कनाडा या अन्य देशों के बारे में ज्यादा जानकारी ले रहे हैं। इस तरह जिन छात्रों ने अमेरिका जाने की तैयारी की थी वे अब ऑस्ट्रेलिया या कनाडा जाने पर विचार कर रहे हैं।’

इसी तरह की एक अन्य कंपनी रीचल्वी की संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी विभा कागजी कहती हैं, ‘निश्चित तौर पर इससे फर्क पड़ेगा। ओपीटी का कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है। पहली बात तो यह है कि जिन छात्रों को पढ़ाई के दौरान नौकरी का प्रस्ताव नहीं मिलता है, वे अमेरिका में रहने के लिए ओपीटी का इस्तेमाल करते हैं। उन छात्रों के लिए भी ओपीटी काम आता है जिनके पास नौकरी की पेशकश तो होती है लेकिन उन्हें एच1बी वीजा के लिए इंतजार करना पड़ता है। जो वहां शोध करना चाहते हैं या फिर दूसरे विकल्पों की तलाश में रहते हैं उनके लिए भी ओटीपी अच्छा रहता है। लेकिन अब स्थिति यह है कि आपको पढ़ाई के दौरान की नौकरी का इंतजाम करना होगा और कंपनी को जल्दी से जल्दी आपके छात्र वीजा को कार्य वीजा में बदलना होगा।’

लेकिन ट्रंप प्रशासन के इस कदम का स्टैनफर्ड या एमआईटी जैसे शीर्ष संस्थानों में पढ़ाई करने जा रहे छात्रों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसका कारण यह है कि इन संस्थानों में पढ़ाई के दौरान की नौकरी लगने की दर बहुत ऊंची है। लेकिन इससे दूसरी और तीसरी श्रेणी के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के लिए जा रहे छात्रों की संख्या प्रभावित हो सकती है। कागजी ने कहा, ‘इस कदम से वे छात्र प्रभावित होंगे जो ऐसे संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं जहां कैंपस से चयन की दर कम है। ओटीपी खत्म होने से उनके पास अमेरिका में रहने, नौकरी ढूंढने और फिर एच1बी वीजा लेने के लिए समय नहीं जाएगा।’ इसका मतलब यह हुआ कि छात्रों को पढ़ाई पूरी करने से पहले नौकरी ढूंढनी पड़ेगी, संभवत: पढ़ाई शुरू करने से पहले ही। कागजी ने कहा कि छात्रों के पास पहले नौकरी ढूंढने और दूसरे देशों का रुख करने के अलावा भी एक विकल्प है। वे आगे की पढ़ाई कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘स्नातक करने के बाद अगर छात्र वहीं रुकना चाहते हैं तो वे आगे की पढ़ाई के लिए आवेदन कर सकते हैं।’

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