रोहतक : हाथों में ऐसा जादू कि जिस लकड़ी को हाथ लगाया, वही विशेष कलाकृति में तब्दील कर दी। इसे हाथों की हुनरमंदी ही कहेंगे कि पहले हरियाणा तो फिर बाद में राष्ट्रीय स्तर पर चमक बिखेरी। वहां भी हाथों की दस्तकारी के दम पर सभी को स्तब्ध कर दिया। अब यही बहू अकबपुर निवासी राजपाल अगले साल दुबई में आयोजित होने वाली अंतरराष्ट्रीय स्किल प्रतियोगिता में शिरकत करेगा।
हम बात कर रहे हैं कि आर्थिक तंगी और तमाम परेशानियों को मात देकर आइटीआइ करने वाले राजपाल की। अच्छी बात यह है कि नौकरियों की कतार लगी हुई है, लेकिन फिर भी हाथों की दस्तकारी को शिक्षक बनकर या फिर खुद अपना काम खोलकर आगे बढ़ाना चाहते हैं।
जिस कलाकृति के लिए राजपाल का देशभर में प्रथम स्थान हासिल हुआ है। उसमें दरअसल लकड़ी के अलग-अलग छह टुकड़ों का जोड़ है। लेकिन राजपाल की हुनरमंदी ऐसी है कि लकड़ी के वे छह टुकड़े होते हुए थी गणित में जमा के निशान की तरह लगते हैं।
दुबई में 14 से 19 अक्टूबर तक होगी प्रतियोगिता
कोलकाता में जून में हुए राज्य स्तरीय स्किल डेवलपमेंट कंपीटीशन में जहां राजपाल ने आठ घंटे मेहनत कर यह कलाकृति तैयार की वहीं, दिल्ली में जुलाई में हुए राष्ट्रीय स्किल डेवलपमेंट कंपीटीशन में उन्होंने और मेहनत करते हुए सवा चार घंटे में यह कलाकृति बनाकर देश में हरियाणा का नाम रोशन किया। इतना ही नहीं उनके हुनर के दम पर उनका चयन अब दुबई में होने वाली अंतरराष्ट्रीय स्किल डेवलपमेंट प्रतियोगिता में लिए किया गया है। दुबई में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता का आयोजन अगले वर्ष 2017 में 14 से 19 अक्तूबर तक किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने को लेकर राजपाल का कहना है कि कारपेंटरी उनका जुनून है। इसी के दम पर वह प्रदेश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चमकाना चाहते हैं।
केंद्र सरकार ने की सराहना
बता दें कि दिल्ली में हुए कारपेंटरी के राष्ट्रीय मुकाबले में देश के चार प्रतिभागी शामिल हुए, जिनमें से राजपाल की कलाकृति श्रेष्ठ रही। सरकार की सराहना करते हुए राजपाल का कहना है कि राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए भी उनका खर्च केंद्र सरकार ने वहन किया है और अब अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में जाने का खर्च भी केंद्र सरकार वहन करेगी।
आर्थिक परेशानियों को दी मात
राजपाल के जीवन में भी परेशानियां आई लेकिन उसने मेहनत और हुनर के बल पर परेशानियों को मात दी। बकौल राजपाल जब वह दो साल का था तो एक दुर्घटना में उनके पिता का देहांत हो गया। परिवार आर्थिक तंगी से गुजरा। एक दिन बड़े भाई ने कारपेंटरी करने को कहा तो कारपेंटरी का शौक पैदा हो गया। कारपेंटरी का काम करते-करते यही शौक जुनून में बदल गया। आर्थिक परेशानियों को मात देकर वह यहां तक पहुंचा है।
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