नई दिल्ली : अब हर तीन साल में सभी कोर्स का सिलेबस बदलेगी या उसे अपग्रेड करेगी। यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन) ने हाल में जारी आदेश में कहा कि यूनिवर्सिटी तीन साल में एमबीए, एमसीए, बीबीए जैसे प्रोफेशनल कोर्स के अलावा बीकॉम, बीए, बीएससी जैसे परंपरागत कोर्स का सिलेबस भी बदले और इसकी जानकारी भी भेजे। यूजीसी हर तीसरे साल इन कोर्स की समीक्षा करेगा। डीएवीवी प्रबंधन का कहना है इसी साल से इसे लागू किया जाएगा। सभी यूनिवर्सिटी पर यह आदेश लागू होगा।
जिस सिलेबस से जॉब मिले, उस पर जोर
यूजीसी का सारा जोर इस बात पर है कि केवल तकनीकी कोर्स को छोड़कर सभी कोर्स में बदलाव का आधार जॉब ही होगा। साथ ही संबंधित पाठ्यक्रम से संबंधित स्किल डेवलपमेंट का कंटेंट भी जोड़ा जाएगा। वोकेशनल कोर्सेस में हर दो साल में जरूरत के अनुसार कंटेंट बदलता रहेगा। नैक की पीयर टीम के सदस्य डॉ. मंगल मिश्र का कहना है यूजीसी ने सिलेबस हर तीन साल में अपग्रेड करने के साथ कुछ अहम बिंदु भी जोड़े हैं। उन्हीं के आधार पर सिलेबस तय होंगे।
नए प्रोग्राम शुरू करने व सेंटर खोलने पर विचार
इंडस्ट्री की जरूरतों के अनुसार सिलेबस बदलने का निर्णय तुरंत लागू करेंगे। यूजीसी के आदेश अनुसार सिलेबस में स्किल डेवलपमेंट का अहम रोल रहेगा। इसके लिए नए प्रोग्राम और सेंटर खुले इस पर भी काम चल रहा है। – डॉ. नरेंद्र धाकड़, कुलपति
इंडस्ट्री की जरूरतों और एजुकेशन पॉलिसी में बदलावों को आधार बनाकर सिलेबस तय होंगे।
हर सिलेबस में स्किल डेवलपमेंट के बिंदु जोड़ना अनिवार्य। परंपरागत कोर्स में भी स्किल डेवलपमेंट जरूरी।
तीन साल में हर गैर जरूरी कंटेंट हटाया जाएगा। ऐसा चैप्टर जो बेहद कठिन है या ज्यादा सरल है, उसे भी हटाया जाएगा।
हर बार सिलेबस में बदलाव के दौरान हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषा पर खास ध्यान दिया जाएगा।
परंपरागत कोर्स में प्रोफेशनल कोर्स के कंटेंट जोड़े जाएंगे। सिलेबस में बदलाव से पहले इंडस्ट्री का फीडबैक लेना जरूरी।
Note: News shared for public awareness with reference from the information provided at online news portals.