नई दिल्ली : देश में स्किल इंडिया के लिए बनकर तैयार प्राइवेट आईटीआई को दिल्ली हाईकोर्ट ने बेशक पुराने नियमों के तहत मान्यता में राहत दे दी। लेकिन मिनिस्टरी ऑफ स्किल डेवलपमेंट एंड इंटरप्रेनुअरशिप में बैठे अधिकारी आईटीआई बनाकर मान्यता की मांग करने वाले लोगों को कोर्ट और अपने दफ्तर के बीच पेंडुलम बनाए हुए हैं। एनसीवीटी (नेशनल काउंसिल फोर वोकेशनल ट्रेनिंग) के अधिकारी कोर्ट के आदेश पर भी आईटीआई निर्माताओं को मान्यता देने में आनाकानी कर रहे हैं।
बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी की स्किल्ड इंडिया योजना के तहत देशभर के राज्यों में प्राइवेट आईटीआई खुलवाकर युवाओं को स्किल्ड कोर्स कराने की योजना बनवाई गई। इसमें 5 हजार नई आईटीआई बनाने को लेकर लोगों ने अपने रजिस्ट्रेशन कराए। अब इसमें से करीब 4 हजार आईटीआई देश भर के विभिन्न राज्यों में बनकर तैयार हैं, लेकिन उन्हें मान्यता नहीं दी जा रही।
आल इंडिया न्यू प्राइवेट आईटीआई एप्लीकेंट्स फेडरेशन के उपाध्यक्ष जतिंदर पाल सिंह कहते हैं कि 14 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायाधीश संजीव सचदेवा ने निर्णय दिया कि आईटीआई विज्ञापन और ब्रॉशर में जो नियम शर्तें आईटीआई भवन निर्माण को लेकर दी गई थी, अगर कोई उसे पूरा करता है तो एनसीवीटी उसे मान्यता के लिए अपनी बैठक में कंसिडर करे। 16 सितंबर को एनसीवीटी की बैठक हुई। इसमें लोगों के आवेदन और कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज किया जा रहा है।
कोर्ट ने ऑर्डर लगाए हैं तो जरूर राहत मिलेगी
कोर्ट ने क्या ऑर्डर दिए हैं, मुझे नहीं मालूम। अगर किसी ने 16 सितंबर की मीटिंग में अपनी फाइल में कोर्ट के ऑर्डर लगाए हैं तो उसे जरूर राहत मिलेगी। कोर्ट ने अगर बिना बिल्डिंग कंप्लीशन सर्टिफिकेट के ब्रॉशर के हिसाब से बने नियमों पर ही मान्यता देने की बात कही है तो इसका फायदा अधिक से अधिक लोगों को मिले, इस पर भी ध्यान दिया जाएगा।
– आशीष शर्मा, ज्वाइंट सेक्रेटरी, एनसीवीटी
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