आईटीआई (ITI) में जाने वाले लाखों कारीगर भी अब हाई स्कूल और कालेज की शिक्षा प्राप्त कर कंपनियों में ऊंचे पद पाने का सपना पूरा कर सकेंगे। सरकार अगले महीने यह घोषणा करने जा रही है जिसके अनुसार आईटीआई के छात्र दो साल की ट्रेनिंग के बाद एक भाषा की परीक्षा दे कर दसवीं और बारहवीं के सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकेंगे जिससे उनके आगे की पढ़ाई का रास्ता खुल जाएगा।
साथ ही, सरकार ने एक ‘ओवरसीज एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज’ खोलने की योजना बनाई है जिसके तहत आईटीआई से प्रशिक्षित कारीगर के लिए इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया सहित 80 देशों में नौकरी मिलने का रास्ता खुलेगा।
केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राजीव प्रताप रूडी ने बताया कि इन योजनाओं की घोषणा 15 जुलाई को कानपुर में ‘वर्ल्ड यूथ स्किल्स डे’ के दिन की जाएगी। उन्होंने बताया कि आईटीआई प्रशिक्षित कारीगरों के लिए आगे पढ़ाई का रास्ता आने वाले शैक्षणिक सत्र से शुरू हो जाएगा।
दो साल के आईटीआई ट्रेनिंग के साथ मात्र एक लैंग्वेज की परीक्षा देकर आईटीआई से पास करने वालों को हाई स्कूल का सर्टिफिकेट मिलेगा जिससे वो जब चाहे आगे की पढ़ाई कर सकेंगे। अभी आईटीआई प्रशिक्षित कारीगर की प्रतिभा औपचारिक शिक्षा के अभाव में आगे नहीं बढ़ पाती है। रूडी ने कहा कि यह कदम न केवल युवाओं को आईटीआई जाने को प्रोत्साहित करेगा बल्कि उनकी आकांक्षा को भी पूरा करेगा। वे कैरियर के आगे बढ़ने में बाधा नहीं महसूस करेंगे।
योजना के बारे में विस्तार से बताते हुए कौशल विकास और उद्यमिता सचिव रोहित नंदन ने बताया कि सरकार आईटीआई से प्रशिक्षित कारीगरों को विदेशों में रोजगार दिलाने के लिए ‘ओवरसीज एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज’ खोलेगी। सरकार ने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया से इस बारे में बात भी कर ली है। मंत्रालय इन देशों की जरूरत के हिसाब से कारीगरों को ट्रेनिंग भी देगी। इस योजना के तहत विदेश में नौकरी की चाहत रखने वाले उन देशों में भी जा सकेंगे जहां प्रशिक्षित भारतीय कामगारों की जरूरत होगी, जैसे खाड़ी और दक्षिण-पूर्व के देश।
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