नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान अब उद्योग जगत को भी भाने लगा है। फिक्की और इंडिया सैनिटेशन कोएलिशन की ओर से आयोजित पहले इंडिया सैनिटेशन कान्क्लेव और सैनिटेशन अवार्ड में यह साफ देखने को मिला। दो दिन तक चले कान्क्लेव में स्वच्छता अभियान को सफल बनाने के लिए आम जनता की भागीदारी बढ़ाने, नई तकनीक को अपनाने और इसे लाभ कमाने वाले उद्योग में बदलने में पर जोर दिया गया। ‘जागरण पहल’ इस कार्यक्रम के प्रमुख प्रायोजकों में था।
कार्यक्रम के समापन समारोह में बोलते हुए ‘स्किल कौंसिल फार ग्रीन जाब्स’ के सीईओ प्रवीण सक्सेना ने कहा कि किस तरह आइआइटी के दो छात्रों ने गुजरात में सौ किलोमीटर सड़क का कचरा उठाने का काम अपने हाथों में लिया और दो साल के भीतर-भीतर इसे लाभकारी व्यवसाय में तब्दील कर दिया। इससे पूरे इलाके को स्वच्छ रखने के साथ-साथ सैकड़ों युवाओं को रोजगार भी मिल गया। वहीं नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनएसडीसी) के प्रबंध निदेशक व सीईओ मनीष कुमार ने कहा कि आम जनता को कचरा निपटारे का प्रशिक्षण देकर पूरे देश को स्वच्छ बनाना मुश्किल काम नहीं है।
उनके अनुसार देश में स्वच्छता की 70 फीसदी समस्या नौ राज्यों की 400 जिलों में व्याप्त है। जबकि अकेले एनएसडीसी के 15000 ट्रेनिंग सेंटर चलते हैं। एनएसडीसी से जुड़े दूसरे ट्रेनिंग सेंटरों को जोड़ लें तो इनकी संख्या 25-30 हजार हो जाएगी। इससे इन 400 जिलों में युवाओं को कचरा जमा करने और उन्हें निपटाने की ट्रेनिंग देना मुश्किल काम नहीं है।
दो दिन चले इस कान्क्लेव का उद्घाटन गुरूवार को रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने किया था। उद्घाटन भाषण में सुरेश प्रभु ने उद्योग जगत से रेलवे स्टेशनों पर बायो-टायलेट के निर्माण और उनके रख-रखाव के लिए बड़े स्तर पर सहयोग के लिए आगे आने का आह्वान किया था।
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