नई दिल्ली : राष्ट्रीय कौशल विकास निगम ने भारतीय गुणवत्ता परिषद के सहयोग से पिछले नौ महीनों में चार हजार से अधिक प्रशिक्षण केन्द्रों को मान्यता दी है। निगम पर देश भर में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के क्रियांवयन की जिम्मेदारी है। भारत सरकार द्वारा चलाई गई यह महत्वकांक्षी योजना सन 2022 तक 40 करोड़ युवाओं को विभिन्न कारोबार में कुशल एवं दक्ष बनाने का लक्ष्य रखती है। इनमें लगभग 15 करोड़ लोगों को कुशल एवं दक्ष बनाने का लक्ष्य अकेले निगम को पूरा करना है।
निगम के महाप्रबंधक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनीष कुमार का मानना है कि देश के युवाओं को रोजगार के लायक बनाने की यह राष्ट्रीय मुहीम बड़ी चुनौती है और भारी सतर्कता की मांग करती है क्योंकि उच्चस्तरीय कौशल प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना कर के तथा उनकी गुणवत्ता को नियंत्रित कर के ही युवाओं को कुशल एवं दक्ष बनाया जा सकता है। गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए ही निगम ने भारतीय गुणवत्ता परिषद के साथ हाथ मिलाया है। कौशल केन्द्रों को मान्यता देने तथा उन्हें निगम से संबद्ध करने से पहले गुणवत्ता परिषद उनकी सुविधाओं का निरीक्षण करती है और उपयुक्त पाने पर ही उन्हें संबद्धता देने की सलाह देती है। केन्द्र के लिए आवेदन करने से लेकर उसे संबद्धता देने तथा बाद में उसपर निगरानी रखने का काम स्मार्ट के जरिये होता है, जो कि वेब आधारित है।
अब तक कुल साढे चार हजार आवेदकों ने लगभग दस हजार कौशल केन्द्रों के लिए आवेदन किया है। इनमें लगभग छह हजार का निरीक्षण किया जा चुका है। इसके बाद ही लगभग 4100 केन्द्रों को मान्यता देने की सुफारिश गुणवत्ता परिषद ने की है। श्री कुमार स्वीकार करते हैं कि केन्द्रों को मान्यता एवं संबद्धता देने के काम में और गति लाने की जरूरत है तभी 2022 तक 15 करोड़ युवाओं को कुशल या दक्ष बनाने का काम समय पर पूरा किया जा सकता है। इसके लिए निगम ने गुणवत्तता परिषद के उच्चाधिकारियों से बातचीत भी की है। गुणवत्ता परिषद के अधिकारियों ने निरीक्षण के काम में तेजी लाने का आश्वासन दिया है।
श्री कुमार का कहना है कि आवश्यक होने पर भारतीय गुणवत्ता परिषद के अलावा कुछ संस्थाओं की भी मदद निरीक्षण के काम में ली जा सकती है।
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