अमेठी : केंद्र में सत्ता परिवर्तन के साथ ही पिछले 11 वर्षों से अमेठी के टीकरमाफी में संचालित ट्रिपल आईटी की शाखा मंगलवार से पूरी तरह बंद हो गई। सुबह भारी फोर्स की मौजूदगी में संस्थान में अध्ययनरत 148 विद्यार्थियों को इलाहाबाद शिफ्ट कर दिया गया। कैंपस शाखा की 40 छात्राओं को पहले ही इलाहाबाद भेजा जा चुका है।
कैंपस शाखा बंद होने को लेकर 75 कर्मचारियों ने 12 अगस्त से आंदोलन का एलान कर रखा है। केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही टीकरमाफी में संचालित ट्रिपल आईटी इलाहाबाद की कैंपस शाखा के बंद होने की अटकलों पर विराम लग गया। बीते दिनों ट्रिपल आईटी परिसर में आई तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की ओर से डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय की सेटेलाइट शाखा के संचालन की घोषणा के बाद से ही ट्रिपल आईटी की कैंपस शाखा का बंद होना तय माना जा रहा था।
एक हफ्ते पहले यहां अध्ययनरत 40 छात्राओं को इलाहाबाद भेज दिया गया था। छात्राओं के जाने के बाद 11 वर्षों से यहां कार्यरत करीब 75 कर्मचारियों ने संस्थान समेत संबंधित मंत्रालय को पत्र भेजकर 12 अगस्त से धरना-प्रदर्शन का अल्टीमेटम दिया था। इसके बाद संस्थान ने गुपचुप तरीके से छात्रों को इलाहाबाद शिफ्ट करने की योजना बना ली थी। मंगलवार भोर प्रो. विजय चौरसिया व सिक्योरिटी अधिकारी एलएन शर्मा इलाहाबाद से चार बसों के साथ कैंपस शाखा पहुंचे।
पुलिस की मौजूदगी में ट्रिपल आईटी द्वितीय व तृतीय वर्ष के अध्ययनरत 148 छात्रों को इलाहाबाद ले जाया गया। कैंपस के प्रभारी असिस्टेंट प्रोफेसर संजय सिंह ने छात्रों को शिफ्ट करने व कैंपस शाखा बंद करने की पुष्टि की है। निदेशक प्रोफेसर जीएस नंदी का कहना है कि मंत्रालय की ओर से गठित हाई पॉवर कमेटी की संस्तुति पर वहां अंबेडर विश्वविद्यालय की सेटेलाइट शाखा और नेशनल स्किल डेवलपमेंट सेंटर खोले जाने का निर्णय लिया गया है। इसलिए वहां से विद्यार्थियों को इलाहाबाद बुला लिया गया।
उनका कहना है कि अमेठी परिसर में कार्यरत एक भी कर्मचारी को बाहर नहीं किया जाएगा। वहां इंफ्रास्ट्रकर का निर्माण ट्रिपलआईटी ने कराया है। इन्हें दोनों संस्थानों को हैंडओवर किया जाएगा। यह तय हुआ है कि पहले से कार्यरत कर्मचारी संबंधित संस्थानों में मर्ज किए जाएंगे। इसे सुनिश्चित करने के बाद ही वहां बने भवन आदि दूसरे संस्थान को हैंडओवर किए जाएंगे। प्रोफेसर नंदी ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेठी परिसर से हटने के बाद भी स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों की सीट में कोई कमी नहीं होगी।
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