नयी दिल्ली: सरकार ने अल्पसंख्यकों को मेडिकल, आयुर्वेद, यूनानी समेत बेहतर पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा मुहैया कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के पांच शिक्षण संस्थान स्थापित करने की योजना बनाई है। इसकी रूपरेखा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन भी किया गया है जो दो महीने में रिपोर्ट देगी। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने ये बात कही।
मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री ने बताया कि आधुनिक तकनीकी, मेडिकल, आयुर्वेद, यूनानी सहित विश्वस्तरीय कौशल विकास की शिक्षा देने वाले पांच विश्वविद्यालय देश भर में स्थापित किये जायेंगे।
दो महीने में आएगी रिपोर्ट
नकवी ने बताया कि इसकी पूरी रुपरेखा के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है जो शिक्षण संस्थानों की रुपरेखा-स्थानों वगैरह के बारे में अपनी विस्तृत रिपोर्ट दो महीनों में देगी। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश होगी कि ये शिक्षण संस्थान 2018 से काम करना शुरू कर दें। इन शिक्षण संस्थानों में 40 प्रतिशत आरक्षण लड़कियों के लिए किये जाने का प्रस्ताव है।
नकवी ने बताया कि हमारी कोशिश है कि आधुनिक सुविधाओं सहित विश्वस्तरीय शिक्षा का आदर्श शैक्षिक केंद्र एवं रोजगारपरक कौशल विकास संस्थान स्थापित करना शिक्षा के साथ रोजगार मुहैय्या कराने का एक बड़ा मिशन साबित हो।
बेगम हजरत महल स्कॉलरशिप और गरीब नवाज स्किल डेवलपमेंट सेंटर की शुरुआत
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने बताया कि बैठक में अल्पसंख्यकों के शैक्षिक सशक्तिकरण और कौशल विकास से संबंधित कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। इनमे लड़कियों के लिए ‘‘बेगम हजरत महल स्कालरशिप’’ शामिल हैं। इसके अलावा देश भर में ‘‘गरीब नवाज स्किल डेवलपमेंट सेंटर’’ स्थापित करने की घोषणा भी की गई।
नकवी ने कहा कि केंद्र सरकार अल्पसंख्यक समुदायों को बेहतर से बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा जोर अल्पसंख्यकों को बेहतर शिक्षा और इसके साथ ही रोजगार प्रदान करने पर है। पिछले बजट में घोषित 3827 करोड़ रुपये में से लगभग 2800 करोड़ रुपये स्कॉलरशिप, ट्रेनिंग सहित अन्य शैक्षिक गतिविधियों के लिए दिए जा रहे हैं। इनमें 1816 करोड़ रुपये की छात्रवृतियां शामिल हैं।
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