नई दिल्ली : अल्पसंख्यकों को उत्कृष्ठ पारंपरिक एवं आधुनिक शिक्षा मुहैया कराने के लिये अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की अंतरराष्ट्रीय स्तर के पांच शिक्षण संस्थानों की स्थापना करने की पहल के तहत दो संस्थाओं के लिये भूमि चिन्हित करने का कार्य आगे बढ़ाया जा रहा है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, अंतरराष्ट्रीय स्तर के पांच शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना के लिये गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी है जिसका मकसद अल्पसंख्यकों को बेहतर पारंपरिक एवं आधुनिक शिक्षा मुहैय्या कराना है।
उन्होंने कहा कि इसके तहत तकनीकी, मेडिकल, आयुर्वेद, यूनानी सहित विश्वस्तरीय कौशल विकास की शिक्षा देने वाले संस्थान स्थापित किये जायेंगे। हमारी कोशिश है कि यह शिक्षण संस्थान अगले दो वषोक में शुरू कर दें। इन शिक्षण संस्थानों में 40 प्रतिशत आरक्षण लड़कियों के लिए किये जाने का प्रस्ताव है। मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के इन पांच प्रस्तावित संस्थानों के लिये भूमि चिन्हित करने का काम शुरू कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रेटर नोएडा में जमीन देने का प्रस्ताव किया है, साथ ही राजस्थान सरकार ने भी भूमि प्रदान करने की पेशकश की है। उनका कहना है कि यह वृदह योजना है और ऐसे एक संस्थान के लिये 50 से 100 एकड़ जमीन की जरूरत होगी। अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक सशक्तिकरण पर जोर देते हुए मुख्तार नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय पिछड़े, कमजोर और गरीब अल्पसंख्यकों के लिये नवोदय विद्यालय की तर्ज पर 100 से अधिक स्कूल खोलने जा रहा है और इसकी प्रक्रिया पूरी हो गई है।
इस सन्दर्भ में 10 जनवरी 2017 को गठित एक उच्च स्तरीय कमेटी ने इन शिक्षण संस्थानों की रुपरेखा-स्थानों आदि के बारे में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत इन स्कूलों को शुरू किया जायेगा। हमारा लक्ष्य 2018 के शैक्षणिक सत्र से इन्हें शुरू करने का है और इस दिशा में युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है।
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