नई दिल्ली: सरकारी स्कूलों के बच्चों के कौशल और व्यक्तित्व विकास में अब हम-आप जैसे वे लोग भी भागीदारी कर सकेंगे जो शिक्षक नहीं हैं। इसके लिए ‘विद्यांजलि’ योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत गैर शिक्षक लोग भी स्कूलों में पढ़ाने का अपना सपना पूरा कर सकेंगे। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस योजना की शुरूआत केंद्र सरकार के माई गवर्मेट पोर्टल से की है। वैसे तो ये योजना 21 राज्यों के 2200 स्कूलों में शुरु की गई है, लेकिन पहले चरण में 1200 स्कूलों को शामिल किया गया है। इसके लिए स्कूलों को विकल्प माई गवर्मेट पोर्टल (my government portal) से ही मिलेगा। योजना की खास बात ये है कि इसका फायदा किसी भी क्षेत्र के लोग ले सकते हैं। योजना में रिटायर्ड अध्यापक और रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी भी भाग ले सकते हैं।
योजना के तहत अतिरिक्त कक्षाएं देने व अतिरिक्त स्किल विकास पर जोर दिया गया है। इससे सरकार की ‘स्किल डेवलपमेंट योजना’ पर भी प्रभाव देखने को मिलेगा। योजना के उद्धाटन में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री प्रो. रामशंकर कठेरिया भी मौजूद थे। कठेरिया ने कहा कि ‘इस मंच से ज्ञान और समुदाय के अनुभव को साझा किया जाएगा। ये योजना सरकारी स्कूलों में मूल्य जोड़ने का काम करेगी।‘
बता दें कि ‘विद्यांजलि’ स्कूलों में पढ़ाने की स्वयंसेवा योजना है जिससे ऐसे लोग जो शिक्षक नहीं हैं, लेकिन बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, वे ऐसा कर सकेंगे। इस योजना का मकसद आम जन को सरकारी स्कूलों से जोड़कर उन्हें शिक्षा में सहभागी बनाना है। इस मौके पर स्मृति ने कहा कि लोगों को इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर भाग लेना चाहिए और छात्रों को यह संदेश देना चाहिए कि वे अकेले नहीं हैं, बल्कि ‘टीम इंडिया’ का हिस्सा हैं।
उन्होंने कहा कि इसी साल दिसंबर तक इन स्कूलों में वालेंटियर छात्रों को नाटक, कहानी अथवा सीधे क्लास में सब्जेक्ट पढ़ाने का काम शुरु कर देंगे। स्कूल के रेग्युलर समय में ही वालेंटियर को भी बच्चों को पढ़ाने का समय दिया जाएगा।
इस कार्यक्रम के तहत देश भर में नामी-गिरामी लोगों ने स्कूल जाकर अपना योगदान देना शुरू भी कर दिया है। गुरुवार को ही केंद्रीय शहरीविकास मंत्री वेंकैया नायडू ने विजयवाड़ा के एक स्कूल जाकर इस कार्यक्रम में भागीदारी की।
इससे पहले क्रिकेट खिलाड़ी अनिल कुंबले, फुटबॉल खिलाड़ी बाइचुंग भूटिया और फिल्म अभिनेत्री ट्विंकल खन्ना के अलावा केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धनराठौड़, बाबुल सुप्रियो और किरण रिजीजू भी इसमें शामिल हो चुके हैं। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी स्कूलों का दौरा कर पहली से आठवींतक के छात्रों के साथ संपर्क कायम किया है।
कोई भी कर सकता है योगदान : इस योजना को शुरू करने के पीछे एक सोच है। वह यह कि जो लोग अपने गांव या इलाके के सरकारी स्कूल के छात्रों को पढ़ाई में या उनके हुनर और व्यक्तित्व विकास में मदद करना चाहते हैं, उनकी इच्छा पूरी हो। इसमें स्कूल के पास के इलाके की पढ़ी-लिखी या हुनरमंद घरेलू महिलाओं से ले कर प्रवासी भारतीय तक कोई भी शामिल हो सकता है। सेवानिवृत्त हो चुके शिक्षकों, सरकारी कर्मचारियों और सैन्यकर्मियों को खास तौर पर इसमें शामिल करने की योजना है।
जिन 21 राज्यों में होगा योजना का क्रियानवन : दिल्ली , गोवा , आंध्र प्रदेश , असम , बिहार , छत्तीसगढ़ , ओडिशा , पंजाब , राजस्थान , त्रिपुरा , उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड, हरयाणा , हिमाचल प्रदेश , गुजरात , कर्नाटक , तेलंगाना , मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र , मणिपुर , जम्मू-कश्मीर)
मंत्रालय ने साफ किया है कि यह वॉलंटियर सेवा है। इसे औपचारिक तौर पर होने वाली शिक्षकों की भर्ती के अतिरिक्त माना जाएगा और इसका मुख्य भर्ती पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस तरह की सेवा देने वाले लोगों पर मुख्य पाठ्यक्रम की जिम्मेवारी नहीं होगी। स्कूलों में पढ़ाने के साथ ही ऐसे लोग खेलकूद, कौशल विकास, स्वास्थ्य संबंधी अच्छी आदतों के बारे में जानकारियां, योग और आसन काप्रशिक्षण, संगीत और कलाओं का प्रशिक्षण आदि गतिविधियों में भी मदद कर सकेंगे।
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