नई दिल्ली : भले ही नोटबंदी के फैसले को बीजेपी सही ठहरा रही हो लेकिन RSS इससे खुश नहीं है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के श्रम संगठन ने मोदी के इस फैसले की आलोचना की है। संघ के श्रम संगठन ने कहा कि 8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद बहुत लोगों की नौकरी चली गई है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ईकाई भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष बैज नाथ ने कहा कि मोदी शासनकाल में करीब 1 लाख 35 हजार लोगों को जॉब मिली है तो करीब 20 लाख लोग बेरोजगार हो गए हैं। अपनी बात को संभालते हुए उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि पूर्ववर्ती सरकार के दौरान स्थिति बेहतर थी। बैज नाथ का कहना था कि नोटबंदी की वजह से असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लाखों मजदूरों को बहुत ज्यादा परेशान होना पड़ा है। उन्हें काम नहीं मिल पाता है क्योंकि काम कराने वालों के पास कैश नहीं है कि वह अपना काम करवा सकें।
Jobless विकास हुआ है- राष्ट्रपति
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के ताजा बयान को लेकर भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष बैज नाथ ने कहा कि नोटबंदी का सबसे बुरा असर असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों पर पड़ा है। लेकिन असर कितना बुरा है इसका सही सही आकलन नहीं हो पाया है। दरअसल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को कहा था कि भारत में विकास तो हुआ है लेकिन वह जॉबलेस विकास है।
नोटबंदी का GDP पर कैसा रहेगा असर ?
इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तमाम इकोनॉमिस्ट ने आशंका जताई है कि पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले का GDP पर बुरा असर पड़ सकता है। इस मसले पर राय ने कहा कि नोटबंदी का असर कितना होगा और कैसा होगा इसके लिए हम और इंतजार करेंगे। मजदूर संगठन के अध्यक्ष राय का मोदी पर हमला जारी रहा। आगे उन्होंने मोदी के स्किल इंडिया प्रोग्राम की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का ध्यान रोजगार के अवसर पैदा करने के बजाए स्किल डेवलपमेंट पर ज्यादा है।
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