नई दिल्ली : विकसित देशों में कुशल श्रमबल की संख्या 50 से 90 फीसदी है जबकि भारत में नेशनल सैम्पल सर्वे के परिणाम दर्शाते हैं कि देश में कुशल कार्यबल की संख्या मात्र 10 फीसदी है। ऐसे में इस क्षेत्र में जबरदस्त सुधार की जरूरत है। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सहयोग से फिक्की ने शुक्रवार को वार्षिक सम्मलेन ‘ग्लोबल स्किल्स समिट’ के दसवें संस्करण में ‘न्यू एज स्किल्स फॉर टुडे एंड टुमारो’ विषय पर चर्चा सत्र का आयोजन किया।
ग्लोबल स्किल्स समिट के उद्घाटन मौके पर कौशल विकास एवं उद्यमिता तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कहा कि भारत पहले ओद्यौगिक क्रांति से चूक गया था, लेकिन अब देश ‘उद्योग 4.0’ के लिए पूरी तरह से तैयार है।
इस मौके पर मंत्री जी ने चार रिपोर्ट्स का अनावरण किया- ‘फ्यूचर ऑफ जॉब्स’ रिपोर्ट, फिक्की की इंडस्ट्री एंगेजमेन्ट रिपोर्ट, फिक्की की एम्प्लॉयर लैड जॉब मॉडल्स प्राइमर रिपोर्ट, फिक्की संचालित मीडिया एण्ड एंटरटेनमेन्ट स्किल्स काउन्सिल द्वारा ‘मीडिया टॉक बैक’ पर मैग्जीन तथा केस स्टडी और कौशल विकास के प्राइवेट सेक्टर मॉडल। इसके अलावा सम्मेलन के दौरान फिक्की और यूएनडीपी के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए गए।
टेकनोलॉजी और शिल्पकारी शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए वल्र्ड स्किल्स इंटरनेशनल के अध्यक्ष साइमन बार्टले ने कहा, ‘दुनिया के भविष्य को स्थायी बनाने के लिए दिल, दिमाग और हाथ को मिल कर काम करना होगा। तेजी से बदलते परिवेश में भारत को वैश्वीकरण, मानकीकरण तथा नई तकनीकों पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। ताकि आज के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकें।’
फिक्की स्किल डेवलपमेन्ट कमेटी (कौशल विकास समिति-एसडीसी) के चेयरमैन तथा मणिपाल ग्लोबल एजुकेशन के चेयरमैन मोहन दास पाई ने कहा, ‘भारत में शिक्षा एवं कौशल नीतियों में बदलाव लाने की आवश्यकता है, हमें नियोक्ताओं के लिए ऐसा माहौल बनाना होगा, ताकि वे बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा कर सकें। इस तरह से तकनीक के सही इस्तेमाल के साथ-साथ नियोक्ता-उन्मुख प्रशिक्षण तथा हर राज्य के लिए नीति निर्माण की जरूरत है।’