वाराणसी : पिछड़े व बदहाल पूर्वांचल के साथ ही बिहार व आसापास के इलाकों के युवाओं का ‘इंजिनियर’ बनने का सपना जल्द पूरा होने वाला है। आईआईटी बीएचयू गांव-गांव इंजिनियरों की फौज तैयार करेगा। इसके लिए यहां ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फार रिन्यूएबल एनर्जी डिवेलपिंग स्किल्स’ खोलने पर काम शुरू हुआ है। यह सेंटर मिशन स्किल इंडिया का पार्ट होगा।
पेट्रोलियम पदार्थों की महंगाई एवं इससे निकलने वाली विषैली गैस के कारण आज सौर ऊर्जा सभी की जरूरत बनी है तो इससे चलने वाले उपकरणों की उपयोगिता भी बढ़ी है। सरकार का भी इस पर खासा जोर है। बाजार में बड़े पैमाने पर उपलब्ध सोलर पैनल, उसकी बैटरी, कुकर, हीटर, आदि उपकरणों की मरम्मत के लिए मैन पावर की कमी को दूर करने का जिम्मा आईआईटी बीएचयू को सौंपा गया है। मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डिवेलपमेंट ने सौर ऊर्जा वाले उपकरणों को बनाने व मरम्मत की ट्रेनिंग देकर युवाओं को हुनरमंद बनाने के लिए सेंटर खोलने को हरी झंडी दिखाई है। मिनिस्ट्री को भेजे गए सेंटर के डिटेल प्रस्ताव को जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है। कुछ कंपनियों ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है।
सूत्रों ने बताया कि प्रस्ताव के मुताबिक ‘रिन्यूएबल एनर्जी फार डिवेलपिंग स्किल्स’ सेंटर का संचालन दस वर्षों तक होगा। इस पर करीब एक करोड़ रूपये खर्च होगा। योजना के तहत सबसे पहले मास्टर ट्रेनर तैयार किए जाएंगे। मास्टर ट्रेनर इंजिनियरिंग के छात्र ही हो सकते हैं। मास्टर ट्रेनर गांव-गांव जाकर सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरणों को बनाने एवं उनकी मरम्मत की ट्रेनिंग युवाओं को देंगे, ताकि वह अपने-अपने क्षेत्र में सौर ऊर्जा उपकरणों की मरम्मत करने वाले ‘इंजिनियर’ बन सकें।
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