नोटबंदी के बाद ऑटोमोबाइल सेक्टर में लगातार गिरती सेल्स के कारण वर्कर्स की छंटनी जारी, कौशल प्रशिक्षित युवाओं की घटेगी मांग

नई दिल्ली। नेशनल स्किल डेवलपमेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तरीके से 1.91 करोड़ लोगों को रोजगार दे रही है। इसमें ओरिजनल इक्युपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (ओईएम), ऑटो कम्पोनेंट्स, रॉ मैटीलियल फैक्ट्रिस, ऑटोमोबाइल डीलर्स, सर्विस सेंटर्स और अन्य संबंधित सेक्टर्स शामिल हैं।

लेकिन नोटबंदी के बाद ऑटोमोबाइल सेक्टर को लगातार गिरती सेल्स और छंटनी का सामना करना पड़ रहा है। ऑटोमोबाइल खासतौर पर टू-व्हीलर की सेल्स में जबर्दस्त गिरावट दर्ज की गई है। इसे देखते हुए टू-व्हीलर मैन्युफैक्चरर्स ने अपने प्रोडक्शन में कटौती करने की योजना बनाई। इससे न केवल टू-वहीलर कंपनियों को नुकसान हुआ है बल्कि ऑटो कंपोनेट इंडस्ट्री को भी झटका लगा है। ऑटो कंपोनेट कंपनियों को मैन्युफैक्चरर्स की ओर से मिलने वाले ऑर्डर में कमी करनी पड़ी है। साथ ही, कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स के लिए या तो शिफ्ट कम कर दी हैं या उनकी छंटनी कर दी है।

ऑटो कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के डीजी विन्नी मेहता ने बताया कि मार्केट में करंसी सप्लाई कम होने की वजह से बड़े पैमाने पर छोटी और बड़ी ऑटो कंपोनेंट यूनिट्स का काम ठप पड़ गया है। ऑर्गेनाइज्ड और अनऑर्गेनाइज्ड कंपोनेंट कारोबार में 50 फीसदी से ज्यादा ठप हो गया है। उन्होंने ने बताया कि ज्यादातर कंपनियां अपनी यूनिट्स में कॉन्ट्रैक्ट और डेली वर्कर्स से अपना प्रोडक्शन चलाती हैं। कैश नहीं होने की वजह से इन वर्कर्स के रोजगार पर भी असर दिख रहा है।

सेंच्यूरी ऑटो इंजीरियरिंग प्राइवेट लि. के ओनर करन तनवर ने बताया कि 8 नवंबर के बाद से हमारा मंथली टर्नओवर आधा हो गया है। हमें 50 फीसदी से ज्यादा लोगों की छंटनी करनी पड़ी है। हम हीरो मोटोकॉर्प को कंपोनेंट सप्लाई करते हैं और टू-व्हीलर की डिमांड घटने से हमें भी इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी ही स्थिति दूसरी कई ऑटो कंपोनेंट कंपनियों की है।

ऑटो एन्सेलरी कंपनी रिको ऑटो के एमडी और सीईओ अरविंद कपूर ने बताया कि कारों और टू-व्हीलर्स को दी जाने वाली सप्लाई में कमी आई है। मार्केट में डिमांड भी कम है। वहीं, उन्होंने कहा कि आने वाले दो महीने तक यह स्थति बनी रहेगी। अरविंद कपूर ने कहा कि ऑटो डीलरशिप पर भी डिमांड कम है। इस बात से भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि कंपनियां इस स्टॉक को बनाए रखने के लिए अपनी प्रोडक्शन कैपेसिटी को किया है।

तीन माह तक नहीं आएगा सुधार

विन्नी ने बताया कि कैश की कमी का असर एक क्वार्टर तक जारी रहेगा। अगले क्वार्टर पर देखना होगा कि हालत में कितना सुधार आया है। इसी बात को दोहराते हुए अरविंद ने बताया कि फिलहाल पूरे मार्केट में सुस्ती दिखाई दे रही है। ऐसे में हालत में सुधार आने में कभी कुछ और इंतजार करना पड़ सकता है।

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