जयपुर : भारतीय कौशल विकास यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू) ने बुधवार को एक दिवसीय निदेशक ‘कौशल संवाद’ का आयोजन किया। इस संवाद में इंजीनियरिंग कॉलेजों के निदेशकों को बुलाया गया था। संवाद का मुख्य एजेंडा था कि किस तरह आज के इंजीनियर्स को उद्योग जगत के जरूरत के हिसाब से तैयार किया जा सके। संवाद में बताया गया कि किस तरह से बच्चों को उनके हुनर के हिसाब से तैयार किया जा सके ताकि वे हर रोज की मांग और चुनौतियों से निपट सकें।
संवाद में बताया गया कि शिक्षा जरूरी है, लेकिन कौशल विकास बेहद जरूरी है। इस संवाद में बीएसडीयू के निदेशक, कुलपति के अलावा राजस्थान तकनीकी यूनिवर्सिटी (आरटीयू, कोटा), इम्पलॉयर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान, एमएसएमइ मंत्रालय और भारद्वाज फाउंडेशन के अधिकारी शामिल हुए थे।
संवाद को संबोधित करते हुए बीएसडीयू के कुलपति ब्रिगेडियर (सेवानिवृत) एस एस पाबला ने बताया कि उद्योग जगत ऐसे बच्चों को नौकरी देने में पीछे रहते हैं जो पूरी तरह से कुशल नहीं होते हैं। यहां तक इंजीनियर्स को भी उनके काम के मुताबिक भुगतान नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति से आज के युवा गुजर रहे हैं। प्रदेश में हर साल कई इंजीनियर्स पास आउट होते हैं, लेकिन उन्हें वेतन उनके हिसाब से नहीं मिल पाता है। ऐसे में बीएसडीयू की स्थापना बच्चों में कौशल विकास विकसित किया जा सके, इसे देखते हुए की गई है।
ब्रिगेडियर पाबला ने बताया कि बीएसडीयू से छह महीने की पढ़ाई करने के बाद जब बच्चे उद्योग जगत में इंटरनशिप पर जाते हैं, उनका स्टाइफंड तभी शुरू हो जाता है। उनका स्टाइफंड ही करीब 15 हजार के आस-पास होता है। उन्होंने आगे कहा कि जो बच्चे इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें भी ऐसा एक्सपोशर मिलना चाहिए ताकि वे भी इंडस्ट्री के हिसाब से तैयार हो सकें।
उन्होंने आगे कहा कि बीएसडीयू में सिर्फ कौशल विकास पर ही जोर दिया जाता है। यूनिवर्सिटी में प्रत्येक सेक्शन में १५ मशीनें हैं जो जापान, जर्मनी और स्विट्जरलैंड से मंगवाई गई हैं। बच्चों का कौशल अच्छे से विकसित हो सके, इसलिए हमारे यहां शिक्षा एक छात्र-एक मशीन की अवधारणा पर चलती है।
ब्रिगेडियर पाबला ने बताया कि बच्चों को पहले थियोरी पढ़ाई जाती है। इसके बाद बच्चों को मशीन कैसे काम करती है, यह बताया जाता है। १५ बच्चों के बीच में तीन ट्रेनर होते हैं जो बच्चों को मशीन पर किस तरह काम करना है, के बारे में बताते हैं। संवाद को बीएसडीयू की स्थापना करने वाले डॉक्टर राजेंद्र जोशी ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में यह इकलौती यूनिवर्सिटी है जहां सिर्फ कौशल विकास पर जोर दिया जाता है। हमारा मुख्य मकसद युवाओं को उद्यम विकास के अनुरूप कुशल बनाया जा सके। अगर आज के युवा को हम कुशल बनाते हैं तो देश के आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में अहम योगदान दे सकते हैं।
जोशी ने बताया कि बीएसडीयू में कौशल शिक्षा स्विस ड्यूल सिस्टम पर आधारित है। इसके तहत सैद्धांतिक ज्ञान के साथ साथ मुख्य ध्यान व्यावहारिक औद्योगिक प्रशिक्षण पर दिया जाता है। संवाद को एमएसएमइ के प्रमुख सचिव पन्नीरसेल्वम रामास्वामी ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान युवाओं और उद्यम विकास को समान अनुपात में कुशल बनाने पर है। अगर युवा कुशल नहीं होगा तो इंडस्ट्री का 4.0 का सपना पूरा नहीं हो पाएगा।
रामास्वामी ने कहा कि पहले हम विश्वविद्यालयों में इन्क्यूबेशन सेंटरों के विकास के लिए ५ लाख रुपए का अनुदान देते थे, जिसे बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ शहरों में ही नहीं, देश के गांवों में भी कौशल विकास केंद्र खोलने पर विचार कर रहे हैं।