भोपाल : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा स्किल डेवलपमेंट को बढ़ाने के लेकर विभाग को दिए टारगेट से विभाग के मंत्री और अफसर हक्का-बक्का हैं। मुख्यमंत्री ने एक साल के भीतर प्रदेश में तैयार हो रहे स्किल्ड युवाओं की संख्या छह गुना करने का फरमान जारी किया है। अब विभाग को समझ में नहीं आ रहा है कि वे फिलहाल इस टारगेट को कैसे अचीव कर करें। आज इसी मसले को लेकर सीएम ने विभाग की समीक्षा बैठक भी बुलाई है।
गौरतलब है कि केन्द्र के निर्देश पर प्रदेश सरकार ने स्किल डेवलपमेंट को अपनी पहली प्राथमिकता पर रखा है। सूत्रों की मानें तो विभाग के अफसरों ने मंत्री दीपक जोशी के साथ हुई बैठक में इन्फास्ट्रक्चर की कमी बताकर इस लक्ष्य को बेहद कठिन बताया। अफसरों का कहना था कि साधन और संसाधनों की कमी के बावजूद हम पूरे प्रयास के बाद यह संख्या दोगुनी तो कर सकते हैं पर इसे सालभर में छह गुनी करना मुश्किल है।
अब तक : अभी करीब 40 हजार स्किल्ड युवा हर साल तैयार हो रहे हैं। इनकी संख्या ढाई लाख करना है।
नया टारगेट :मुख्यमंत्री ने विभाग को दो साल के भीतर पांच लाख स्किल्ड युवाओं को तैयार करने का लक्ष्य दिया है।
कैसे होगा : तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास विभाग को सीएम के इस टारगेट को पूरा करने में पसीना छूट रहा है।
MP के ITI बदहाल
प्रदेश में 221 सरकारी आईटीआई हैं। इनमें से अधिकांश बदहाल हैं। कई में मशीने सालों से जाम और कम्प्यूटर खराब पड़े हैं। इसके अलावा प्रदेश में 68 पालीटेक्निक और सात इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। कई पालीटेक्निक भी शिक्षकों और टेक्नीकल स्टाफ की कमी के दौर से गुजर रहे हैं।
CM ने की समीक्षा
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कौशल विकास को लेकर बुलाई समीक्षा बैठक में आईटीआई संस्थानों की सेहत सुधारने और ज्यादा से ज्यादा स्किल्ड युवा कैसे तैयार हो इसके लिए योजना बनाने के निर्देश दिए। बैठक में तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास मंत्री दीपक जोशी, प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव समेत अनेक अधिकारी मौजूद थे।
8 साल पहले मिला फंड पड़ा रहा,पहले नहीं दिया ध्यान
सूत्रों की माने तो कौशल विकास में पहले ध्यान न देने से यह स्थिति बनी है। आईटीआई के पास फंड की कमी नहीं है पर सरकारी तंत्र की लापरवाही के चलते वे सालों से इसका उपयोग ही नहीं कर पा रहे हैं। प्रदेश में आईटीआई संस्थानों को बेहतर बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने सन 2008 में 300 करोड़ से अधिक का फंड इन आईटीआई संस्थानों को दिया था। इसमें हर आईटीआई को दो करोड़ से अधिक रुपए देकर उनसे कहा गया था कि वे इस फंड से अपने संसाधन डेव्लप करें और बाद में सेन्ट्रल को यह पैसा किस्तों में लौटा दें पर 95 फीसदी आईटीआई संस्थानों ने इसका उपयोग ही नहीं किया। यह राशि अब भी इन संस्थानों के पास है।
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