लुधियाना : लुधियाना कॉटन और वूलन के लिए फेमस है, जबकि त्रिपुर सिर्फ कॉटन के लिए मशहूर है। वेस्ट कोच, डिजाइनर, ट्रेनर आदि होने के बावजूद स्किल डेवलपमेंट की कमी के कारण भारत एक्सपोर्ट में बांग्लादेश, वियतनाम और श्रीलंका जैसे छोटे देशों से पिछड़ गया है। यह जानकारी अपैरल ट्रेनिंग एंड डिजाइन सेंटर(एटीडीसी) के एमडी कम सीईओ डॉ. डार्ली कोशी ने दी। वह प्रधानमंत्री स्किल डेवलपमेंट स्कीम (पीसीडीएस) के तहत नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएसडीसी) के सहयोग से लुधियाना में पहले रिकग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग (आरपीएल) प्रोग्राम का शुभारंभ करने के बाद प्रेस को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि इस समय देश का एक्सपोर्ट 17 बिलियन डॉलर है, जबकि बांग्लादेश 31 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट कर रहा है। डॉ. कोशी ने बताया कि उक्त छोटे देशों के आगे रहने का कारण यह है कि उन्होंने स्किल डेवलपमेंट को इंडस्ट्रियल सब्जेक्ट के तौर पर लिया है। इस दौरान एनएसडीसी के सीओओ जयंत कृष्णा ने बताया कि इंडियन अपैरल इंडस्ट्री में पिछले कुछ साल से डिमांड बढ़ने से ग्रोथ भी बढ़ी है। इसके बावजूद स्किल्ड लेबर की कमी होने के कारण वह परिणाम नहीं मिले, जाे मिलने चाहिए थे। इसी पर फोक्स करते हुए आरपीएल का शुभारंभ किया गया है, ताकि अपनी इस कमी को दूर किया जा सके। इस अवसर पर केजी एक्सपोर्ट के एमडी हरीश दुआ, एटीडीसी से नीरा चंद्रा, रूपाली शुक्ला, राजेश मासीवाल, भूषण अभी आदि मौजूद थे।
30 हजार वर्करों को दी जाएगी ट्रेनिंग
डॉ.कोशी ने बताया कि भारत में एग्रीकल्चर सेक्टर के बाद टैक्सटाइल सेक्टर का रोजगार देने में दूसरा नंबर है। इस सेक्टर में 12.1 मिलियन में से मात्र 5 प्रतिशत ही स्किल्ड हैं। ऐसे में आरपीएल इस आंकड़े का बढ़ाने में कामयाब साबित होगा। इस स्कीम के तहत देश भर में 30 हजार वर्करों को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य है, जिसमें से 2500 वर्कर लुधियाना से होंगे। सर्टिफाइड व्यक्ति को 500 रुपये की सरकारी सहायता सीधे उसके बैंक खाते में भेजी जाएगी। साथ ही एटीडीसी उसे एक टी-शर्ट, कैप, 5 साल की बीमा पॉलिसी और सर्टिफिकेट मुहैया कराएगा।
Note: News shared for public awareness with reference from the information provided at online news portals.