जयपुर : भारत में सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ी बेराजेगारी की समस्या से निपटने के लिए राजस्थान में अनूठी पहल को मूर्त रूप दिया गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा के अनुरूप अब राज्य के 300 से ज्यादा सरकारी काॅलेजों में शिक्षा के साथ कौशल विकास कार्यक्रम भी चलाया जाएगा।
प्रदेश के श्रम, कौशल एवं नियोजन विभाग के शासन सचिव नवीन जैन और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग की शासन सचिव शुचि शर्मा ने यहां आरएसएलडीसी सभागार में आयोजित एक समारोह में इस आशय के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर कौशल, रोजगार एवं नियोजन मंत्री अशोक चांदना, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी और आरएसएलडीसी के प्रबन्ध निदेशक डाॅ समित शर्मा भी उपस्थित थे।
इससे पहले योजना के मुख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डालते हुए श्रम कौषल एवं नियोजन विभाग के शासन सचिव नवीन जैन ने बताया कि प्रदेश के 300 काॅलेजों को बिना किसी शुल्क के राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम (आरएसएलडीसी) की संबद्धता दी गई है। सभी प्रशिक्षित युवाओं के कौशल की जांच-पड़ताल राजस्थान राज्य कौशल विष्वविद्यालय द्वारा की जाएगी। ‘रीसू’ के दक्षता प्रमाण पत्र से युवाओं को रोजगार मिलने में काफी मदद मिलेगी।
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उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग की शासन सचिव शुचि शर्मा ने बताया कि यह योजना काॅलेज षिक्षा के क्षेत्र में नई क्रांति का सूत्रपात है। इससे प्रदेश के युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिेलेंगे। योजना के तहत उनका विभाग सभी ढांचागत सुविधाएं मुहैया कराएगा, जबकि कौशल प्रशिक्षण का काम आरएसएलडीसी करेगा। दोनों विभागों के तालमेल से बेहतर परिणाम सामने आएंगे।
इस अवसर पर ‘आरएसएलडीसी’ के ट्रेनिंग पार्टनर्स के प्रतिनिधि और दोनो विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजुद थे। अन्त में काॅलेज शिक्षा आयुक्त प्रदीप बोरड ने धन्यवाद ज्ञापित किया और योजना की सफलता की उम्मीद जताई
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