बंद हो सकते हैं आईटीआई, स्कूल स्तर पर ही कौशल विकास की दी जाएगी ट्रेनिंग

नई दिल्ली: गुरुवार18 जुलाई को विभिन्न मंत्रालयों के सेक्टोरल ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज (एसजीओएस) सोशल की मीटिंग हुई। इस मीटिंग में कौशल विकास मंत्रालय, मानव संसाधन मंत्रालय, यूथ एंड स्पोर्ट्स और सोशल जस्टिस इत्यादि मंत्रालयों के सेक्रेटरी मौजूद थे, जहां प्रस्ताव दिया गया कि देश में आईटीआई को खत्म कर स्कूल स्तर पर ही कौशल विकास की ट्रेनिंग दी जाएगी।

मानव संसाधन मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि इस दौरान चर्चा हुई कि आईटीआई की वजह से बच्चों को 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ती है।  इसकी वजह से वो थ्योरी में पिछड़ जाते हैं। अगर स्कूल स्तर पर ही विभिन्न कौशलों की ट्रेनिंग दी जाए तो कम उम्र से ही बच्चे मनपसंद विषयों में निपुण हो सकते हैं।  उन्होंने ये भी कहा कि आईटीआई पुराने तरीकों से काम कर रहा है, हमें आधुनिक संस्थान चाहिए। अभी सिर्फ ये प्रस्ताव के तौर पर रखा गया है अगर कैबिनेट इसे मंजूरी देगी तो इस पर काम शुरू होगा।

ये चर्चा मोदी सरकार के ‘सौ दिन के अजेंडा’ के तहत की गई है। जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में सभी मंत्रालयों के सेक्रेटरीज से मुलाकात की गई थी। इस दौरान सभी मंत्रालयों को आने वाले पांच साल के लिए एक प्लान तैयार करने को कहा गया था। इसके अलावा सभी मंत्रालयों से नई सरकार के बनने के 100 दिन के भीतर कोई प्रभावकारी निर्णय लेने को कहा था। जिसको 100 दिन के भीतर ही अप्रूव किया जाएगा। इसके लिए कुल 167 विषय चुने गये थे।

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जहां तक आईटीआई और कौशल विकास की बात है, कौशल विकास मंत्रालय पहले ही इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल्स (IIS) खोलने पर लग गया है। एक अधिकारी ने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी का विजन है ये संस्थान, इसमें आधुनिक शिक्षा दी जाएगी। इस संबंध में कैबिनेट नोट भी अनुमोदित किया जा चुका है और एक संस्थान का फाउंडेशन भी डाला जा चुका है।

एसजीओएस क्या है?

2016 में नरेंद्र मोदी ने एसजीओएस यानी कि सेक्टोरल ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज बनाया था। मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स यानी मंत्रियों का ग्रुप बनता था लेकिन मोदी ने इसे सेक्रेटरी का ग्रुप बना दिया। 2019 वाले एसजीओएस की घोषणा जून में हुई थी। ये ग्रुप महत्वपूर्ण विषयों को चुनकर उन पर प्रभावी निर्णय लेता है। लगभग दस ऐसे ग्रुप बनाये गयें हैं, जो सारे मंत्रालय कवर करते हैं। एक-एक ग्रुप में आठ-दस सेक्रेटरी मौजूद रहते हैं।

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आईटीआई पर स्थायी समिति (लेबर) लगा चुकी है गंभीर आरोप

2018 में संसदीय स्थायी समिति (लेबर) ने आईटीआई और कौशल मंत्रालय की योजनाओं पर 33वीं रिपोर्ट संसद में पेश की थी। जिसमें बताया गया था कि देशभर में कई जगह आईटीआई को गैराज, छोटी दुकानों और टीन की छत के नीचे चलाया जा रहा है। इस समिति का नेतृत्व करने वाले भी नॉर्थ मुंबई सीट से भाजपा के ही सांसद किरीट सोमैया थे। जिन्हें आगे चलकर 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट नहीं दिया। समिति ने बहुत कड़े शब्दों में आईटीआई की संबद्धता पर सवाल उठाये थे। गौरतलब है कि पिछले छह-साल सालों में इनकी संख्या बहुत ज्यादा बढ़ी है। इसके पीछे संसाधनों की उपलब्धता और कौशल विकास में रुचि के बजाय धांधली को बताया जा रहा है।

आईटीआई को 1950 के दशक में बनाया गया था। तब से लेकर अब तक आईटीआई की संख्या लगातार बढ़ी ही है। 2007 तक देश में करीब 1,896 सरकारी और 2,000 प्राइवेट आईटीआई थीं। 2007 से लेकर 2017 तक 9,000 से भी ज्यादा प्राइवेट आईटीआई बनाई गईं। इसके अलावा एनएसडीसी (नेशनल स्किल डवेलपमेंट कॉर्पोरेशन) के तहत बने 6,000 से भी ज्यादा प्राइवेट ट्रेनिंग सेंटर हैं जो कौशल विकास मंत्रालय की प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना चला के तहत चल रहे हैं।

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