रोजगार सृजन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद रखेंगे नजर,  रोजगार और कौशल विकास पर नई कैबिनेट समिति का  किया गठन

नई दिल्ली : नैशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) से पता चला कि देश के ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर 5.3 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 7.8 प्रतिशत पर रही, जिससे वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान ओवरऑल बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत पर रही। बेरोजगारी दर इस तरह 45 वर्षों के उच्च स्तर पर रही, हालांकि सरकार ने कहा है कि गणना के तरीकों में बदलाव के कारण इन आंकड़ों की पिछली अवधियों से तुलना नहीं की जा सकती है।

रोजगार और कौशल विकास पर फोकस करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को  रोजगार बढ़ाने के लिए अपनी अध्यक्षता में  नई कैबिनेट समिति का गठन किया है।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, रोजगार और कौशल विकास पर एक 10 सदस्यीय कैबिनेट समिति बनाई गई है, जिसमें अमित शाह, निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, कृषि और किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, कौशल और उद्यमिता मंत्री महेंद्र नाथ पांडे और राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार (श्रम) और हरदीप सिंह पुरी (आवास और शहरी मामले) शामिल हैं।

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अर्थव्यवस्था में छाई मंदी के लिए निवेश और विकास को बढ़ाने के लिए भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय कैबिनेट कमेटी में गृह मंत्री अमित शाह, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और रेलमंत्री पीयूष गोयल शामिल हैं,  का भी गठन किया।

बड़ा आर्थिक सर्वेक्षण कराने की तैयारी

इस बीच, सरकार एक बड़ा आर्थिक सर्वेक्षण कराने की तैयारी में है, जिससे इकॉनमी और विकास योजनाओं की हालत की बेहतर तस्वीर हासिल हो सकेगी। सूत्रों के अनुसार, राज्यों की आबादी के हिसाब से लोगों को इसमें शामिल किया जाएगा। कुल 25 करोड़ परिवार इसमें शामिल होंगे। इनमें ज्यादातर गरीब, अति गरीब और मिडिल क्लास के लोग होंगे। इस सर्वे में पहली बार स्ट्रीट वेंडर्स यानी ठेले-रेहड़ीवालों को भी शामिल किया जाएगा। इस सर्वे के लिए 12 लाख सर्वेयरों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद एनएसएसओ और लुघ उद्योग मंत्रालय इन आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे।

केंद्रीय बजट के पहले डिपार्टमेंट ऑफ इकनॉमिक अफेयर्स हर साल संसद में इकनॉमिक सर्वे ऑफ इंडिया पेश करता है। बड़े स्तर पर कराया जाने वाला यह आर्थिक सर्वेक्षण 5 जून को बजट पेश होने और उसके पारित हो जाने के बाद किया जाएगा। अगले छह महीनों में रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी।

मुख्य सांख्यिकीविद् प्रवीण श्रीवास्तव ने संवाददाताओं से कहा कि ये एक नया डिजाइन है। इन आंकड़ों के संबंध में मेथड में बदलाव के कारण इनकी तुलना पिछले आंकड़ों से नहीं की जा सकती हैं।

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