मुजफ्फरपुर (बिहार) : डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर सर्विस फॉर इनपुट (डेसी) योजना के तहत कृषि सामग्री विक्रेताओं की पाठशाला का गुरुवार को शुभारंभ हुआ। आत्मा सभागार में आयोजित इस पाठशाला में कंसल्टेंट डॉ. कोटेश्वर राव ने संबोधित किया। पाठशाला में 40 कृषि सामग्री विक्रेता भाग ले रहे हैं। पाठशाला की समाप्ति के बाद इन विक्रेताओं को सर्टिफिकेट दिए जाएंगे।
इस पाठशाला का उद्देश्य कृषि सामग्री विक्रेताओं के ज्ञान का विकास करना है। ऐसा देखा गया है कि किसान अपनी समस्याओं को लेकर सबसे पहले कृषि सामग्री विक्रेता के पास ही पहुंचते हैं। विक्रेता अगर योग्य नहीं रहे तो किसानों को सलाह व कृषि सामग्री सही-सही नहीं मिल पाती है। इसका असर कृषि उत्पादन पर भी पड़ता है। अगर, कृषि सामग्री विक्रेता के कौशल का विकास कर दिया जाए तो उसके बताए सुझाव किसानों व कृषि के लिए लाभदायक होंगे। इससे विक्रेताओं की विश्वसनीयता व व्यवसाय भी बढ़ेगा।
इस योजना में शामिल विक्रेताओं के लिए 48 सप्ताह पाठशाला चलेगी। साप्ताहिक चलने वाली इस पाठशाला में 40 क्लास थ्योरी से व आठ क्लास प्रैक्टिकल से संबंधित होंगे। प्रैक्टिकल में विक्रेताओं को फिल्ड में ले जाकर समस्याओं से रूबरू कराया जाएगा।
कृषि सामग्री विक्रेताओं के लाइसेंस की नवीकरण के लिए पाठशाला से मिले सर्टिफिकेट को प्राथमिकता दी जाएगी। पाठशाला में शामिल होने के लिए विक्रेताओं को 10 हजार रुपये शुल्क देने होंगे। 10 हजार रुपये सरकार की ओर से दी जाएगी। इस तरह की व्यवस्था की गई है कि पाठशाला को विक्रेता बंक नहीं कर सकते हैं।
आत्मा के पीडी देवनारायण साहू, डिप्टी पीडी विनोद कुमार, सहायक निदेशक उद्यान राधेश्याम, सेवानिवृत्त कृषि वैज्ञानिक डॉ. गोखुलेश झा, मिट्टी जांच विशेषज्ञ प्रभात किरण व वामेति के अधिकारी इस पाठशाला में उपस्थित थे।
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