नई दिल्ली : देश में कौशल विकास पर जोर देते हुए कौशल विकास व उद्यमिता मंत्री राजीव प्रताप रुडी ने आज कहा कि मेक इन इंडिया का हमारा सपना तभी पूरा होगा जबकि हमारे पास भारत में बनाने वाले मेकर्स इन इंडिया होंगे।
इसके साथ ही उन्होंने देश में कौशल पर शिक्षा को वरीयता दिए जाने की पारंपरिक सोच पर सवाल उठाया और कहा कि कौशल, शिक्षा व विग्यान में कौशल ही पहली कड़ी है।
वे यहां राष्ट्रीय रीयल इस्टेट विकास परिषद नरेडको के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। मंत्री ने कहा कि हमारे देश में कौशल की भूमिका का हमेशा से ही नकारा गया है। यही कारण है कि आजादी के सात दशक बाद भी पर्याप्त संख्या में ढंग के कारीगर, मिस्त्री उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सोच में शिक्षा को ही एकमात्र ध्येय मान लिया गया और जो जितना ज्यादा पढ़ा लिखा हुआ उसे उतना ही अधिक सफल माना गया या सफलता मिली।
रुडी ने जिक्र किया कि देश में इंजीनियरिंग की 18 लाख सीटें है जिनमें से आठ लाख सीटें खाली हैं। हजारों की संख्या में इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हो गए हैं जबकि बाकी से पढ़कर निकलने वाले इंजीनियरियों की रोजगार क्षमता इंप्लायेबिलिटी मात्र सात प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि ओला उबर जैसी टैक्सी सेवा प्रदाता कंपनियों को तीन लाख कुशल ड्राइवरों की जरूरत है जो नहीं मिल रहे।
उन्होंने कौशल विकास मंत्रालय की स्थापना को मौजूदा सरकार की क्रांतिकारी पहल बताते हुए कहा कि इसके जरिए हालात को बदलने का प्रयास किया जा रहा है और इसमें काफी कुछ सफलता मिली है। मंत्री ने नरेडको से सरकार के इस अभियान में सहयोग मांगा क्योंकि निर्माण क्षेत्र कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार देने वाले दो क्षेत्रों में से एक है।
Note: News shared for public awareness with reference from the information provided at online news portals.