नई दिल्ली : आधुनिक खेती के बदलते स्वरूप और उसकी जरूरतों के मद्देनजर किसानों को मदद देने के लिए पेशेवर लोगों की भारी कमी है। ऐसे प्रशिक्षित पेशेवरों को तैयार करने के लिए सरकार ने कृषि क्षेत्र में कौशल विकास की अनूठी कार्ययोजना तैयार की है। इसके लिए पहली बार पढ़े लिखे बाबू किसानों को मदद पहुंचाने वाले खेतिहर मजदूरों को प्रशिक्षण देकर तैयार करेंगे।
कृषि क्षेत्र को लाभ का सौदा बनाने और किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परंपरागत खेती के साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग पर भी जोर दिया जाएगा। कार्ययोजना के तहत नई तकनीक और उन्नत जानकारियों को किसान के खेतों तक पहुंचाने और उसकी उपज को मूल्यवर्धित कर बाजार में बेचने के गुर सिखाए जाएंगे।
कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नई प्रौद्योगिकी के उपयोग और उससे जुड़ी मशीनरी बनाने में प्रशिक्षित श्रमिकों की भारी कमी है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, देश में केवल 18.5 फीसद ही खेतिहर मजदूर हैं। लेकिन मात्र 0.5 फीसद ही तकनीकी रूप से प्रशिक्षित हैं। प्रशिक्षित मानव संसाधन की मांग व आपूर्ति के इस अंतर को घटाने के लिए सरकार ने भारतीय कृषि कौशल विकास परिषद का गठन किया है। इसके मार्फत देश के 29 राज्यों में कौशल विकास के कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
कृषि क्षेत्र सबसे अधिक रोजगार मुहैया कराने वाले सेक्टर है। इसमें ज्यादातर लोग परंपरागत खेती में भले ही कुशल हों, लेकिन आधुनिक खेती के लिए वे उपयुक्त नहीं है। मसलन, मिट्टी की जांच, सूक्ष्म सिंचाई, उन्नत बीज, फर्टिलाइजर, कीटनाशक और एग्रो मशीनरी के साथ फसलों की कटाई के बाद उपज को बाजार तक पहुंचाने और उचित मूल्य दिलाने की योजना है।
आधुनिक खेती के जरिये ही फसलों की उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही खेती से जुड़े विभिन्न उद्यम को आगे बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है, जिसके लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन की सख्त जरूरत है। वेयरहाउसिंग, कोल्ड चेन, गोदाम, मंडियां, कृषि प्रौद्योगिकी उद्योग, मौसम पूर्वानुमान का खेती में उपयोग और ग्रीन हाऊस खेती के लिए लोगों को तैयार करने की योजना तैयार की गई है।
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