कौशल विकास योजनाओं की असफलता के कारण बच्चों में घट रही है दिलचस्पी

बच्चों को रोजगारोन्मुखी शिक्षा देने के लिए कौशल विकास और कौशल्य संवर्धन योजना शुरू की गई थी। अब इस पर सवाल उठने लगे हैं। दोनों ही योजनाओं के लिए 5 लाख बच्चों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन डेढ़ लाख बच्चों का ही इनरोलमेंट हो पाया है। इससे पहले भी कई योजनाएं शुरू करके बंद की जा चुकी हैं।

मप्र के 8वीं व 10वीं पास 5 लाख बच्चों काे ध्यान में रखकर शासन ने एक योजना शुरू की थी। उसे नाम दिया था ‘रोजगार की पढ़ाई, चले आईटीआई।’ इसका मकसद था इन बच्चों को रोजगार मुहैया कराना, लेकिन योजना की शुरुआत में ही बच्चों ने इससे दूरी बना ली है। मई 2017 में शुरू की गई इस योजना से अब तक मात्र डेढ़ लाख बच्चे जुड़ पाए हैं। इसकी दो मुख्य वजह हैं। पहली यह कि नई योजना का संचालन कौशल विकास विभाग की आईटीआई कर रही है। आईटीआई के प्राचार्य व स्टाफ की दिलचस्पी इस जिम्मेदारी को निभाने में नहीं दिख रही। दूसरी, योजना के जरिये रोजगार दिलाने की बात कही जा रही है, लेकिन पिछली योजना के हाल देखकर बच्चे इससे जुड़ नहीं पा रहे हैं।

स्कूल से पासआउट बच्चों को हुनर सिखाने के साथ यह योजना शुरू की गई। इसका शुभारंभ 11 मई से किया गया जो चार चरणों में चलाई जा रही है। इसमें ड्रापआउट बच्चों को भी जोड़ा जा रहा है। इसका समापन 30 जून काे होगा। योजना की खास बात यह है कि बच्चा 8वीं पास होने के बाद दो साल का यह कोर्स करता है तो उसे माशिमं द्वारा 10वीं पास के बराबर माना जाएगा। वहीं, 10वीं के बाद यदि दो साल तक बच्चा कोर्स करता है तो उसे माशिमं की 12वीं परीक्षा के समकक्ष माना जाएगा। यानी छात्र यदि माशिमं से पढ़ाई नहीं कर पाया तो उसे आईटीआई उत्तीर्ण करने के बाद स्नातक में प्रवेश मिल जाएगा।

गौरतलब है कि विभाग द्वारा वर्ष 2009 में वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया था। इसमें भी पांच लाख से अधिक बच्चों को ट्रेनिंग देने का दावा किया गया, लेकिन इस ट्रेनिंग के बाद भी किसी को रोजगार नहीं मिला। इसी के साथ गड़बड़ियों की शिकायतें आने लगीं तो योजना वर्ष 2013 में बंद कर दी गई। पुरानी योजना विफल होने का प्रमाण वह पोर्टल है, जिस पर प्लेसमेंट वाले बच्चों की जानकारी अपलोड करना थी। इस फ्लॉप योजना पर सरकार ने करीब 250 करोड़ रुपए खर्च किए थे। यह सवाल अफसरों से पूछा तो उनका जवाब था कि अब नई योजना में अंतिम किस्त तभी दी जाएगी, जब एजेंसी प्लेसमेंट करवा देगी। बड़ा सवाल तो यह है कि इस बार एजेंसी खुद सरकारी आईटीआई ही है, जो योजना में जरा भी मेहनत नहीं कर रही है। पिछली बार जो 480 निजी आईटीआई वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोवाइडर थे, उन्हें योजना से दूर रखा गया है।

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