रोजगार का सृजन करने के लिए बनाए गए कौशल विकास मंत्रालय (स्किल डेवलपमेंट) की पेचीदा गाइड लाइन की वजह से छोटे-छोटे रोजगार करने वाली महिलाओं पर बुरी गुजरी है। बेहद पुरानी सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड इम्पावरमेंट प्रोगाम फॉर वूमेन (स्टैप) का ये हाल है कि 2 साल से इसमें रोजगार लगभग ठप है।
पिछले साल सितम्बर से तो इसमें कोई काम ही नहीं हुआ है। इस योजना के लिए रखे गए 40 करोड़ रुपए में से बमुश्किल 16 लाख ही खर्च हो सके हैं। कौशल विकास मंत्रालय की गाइड लाइन में पापड़ बनाने और सिलाई-कढ़ाई सेंटर जैसे छोटे कामों के लिए भी अधिक संसाधन और अधिक जगह जैसी पात्रता रखे जाने का परिणाम अच्छे नहीं रहे हैं। महिलाओं को रोजगार के लिए जिन 1500 संगठनों ने आवदेन दिए थे, उनमें से एक को भी पात्र घोषित नहीं किया गया। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने भी ऐसी गाइड लाइन पर ऐतराज जताया है।
उक्त मंत्रालय ने कौशल विकास मंत्रालय को इस आशय के तमाम पत्र लिखे हैं कि बेहद छोटे रोजगार के लिए बड़ी बंदिशें नहीं लगानी चाहिएं। महिला और विकास मंत्रालय ने इन पत्रों में कौशल विकास मंत्रालय को बार-बार यह समझाने का भी प्रयास किया है कि वो इस योजना में जिन महिलाओं को रोजगार दिलाना चाहता है, उनको उद्यमी न समझा जाए। उसने बताया कि वो जिन महिलाओं की मुश्किल की तरफ ध्यान देने को कह रहा है वे ऐसी महिलाएं हैं जो छोटे-छोटे काम करके 5-7 हजार रुपए कमाती हैं।
क्या है स्टैप योजना
यह योजना तीन दशक पहले अस्तित्व में आई थी। इसमें 16 या उससे अधिक उम्र की महिलाओं को ऐसे कौशल में निपुण कराया जाता है, जिससे वो अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। इसमें कृषि, बागवानी, खाद्य प्रसंस्करण, हथकरघा, सिलाई, कढ़ाई, हैंडलूम, ट्रैवल एवं टूरिज्म जैसे कई छोटे कामों के जरिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाता है।
चूंकि कौशल विकास मंत्रालय का व्यवहार मोदी सरकार की छवि पर असर डालता है, इसलिए महिला और बाल विकास मंत्रालय इस मामले में औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं जाहिर कर रहा है। उसकी ओर से बस ये ही कहा जा रहा है कि महिला और बाल विकास मंत्री ने निजी स्तर पर कौशल विकास मंत्रालय को व्यवहारिक कठिनाइयां समझाई हैं और जल्द ही स्टैप के लिए गाइड लाइन को शिथिल किया जाएगा।
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