नई दिल्ली : देश में लगभग सैकड़ों इंजिनियरिंग कॉलेजों में ताला लगने की शंका के बीच स्विट्जरलैंड की स्किल शेयरिंग संस्थाओं ने इन्हें उबारने का प्लान बनाया है। ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन के रेडार पर बंदी के कगार पर खड़े डेढ़ सौ से ज्यादा इंजिनियरिंग कॉलेज हैं। हर साल लगभग 125 इंजिनियरिंग कॉलेज बंद हो जाते हैं। सैकड़ों इंजिनियरिंग कॉलेजों का प्रबंधन इससे परेशान है कि उनकी सीटें खाली रह जाती हैं। असल में उनमें पढ़ने वाले इंडस्ट्री के लिए नाकाबिल समझे जाते हैं। इन संस्थानों में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग का अभाव माना जाता है।
स्किल इंडिया प्रोग्राम के तहत स्विट्जरलैंड ने भारत में स्किल शेयरिंग में दिलचस्पी दिखाई थी। बता दें कि स्विट्जरलैंड दुनिया की सबसे कॉम्पिटिटिव इकॉनमी में शुमार की जाती है और इसके लिए वहां की कौशल क्षमता और उद्यमिता को श्रेय दिया जाता है। स्विस संस्थाओं के सहयोग से भारत में स्किल शेयर करने में जुटी कंपनी स्किलसोनिक्स के स्विस चेयरमैन फ्रांज़ प्रॉबस्त कहते हैं कि हमारे यहां स्किल हाई क्वॉलिटी होने के कारण इसकी शेयरिंग काफी महंगी है, लेकिन स्विस संस्थाओं ने स्किल गैप को देखते हुए कोर्स पैकेज को भारत के हिसाब से तैयार किया है।
स्किलसोनिक्स ने भारत में अगले 5 साल में ढाई लाख लोगों को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य रखा है, जिसमें उसका फोकस इंजीनियरिंग कॉलेजों के स्टूडेंट्स पर रहेगा। कंपनी के सीईओ बनने जा रहे प्रसनजीत कुंडू का कहना है कि ऐटिट्यूड, ऐप्टिट्यूड और किसी एक विषय में जानकारी किसी भी कैंडिडेट को जॉब दिला सकती है। हम स्टूडेंट्स को इसके लिए तैयार करेंगे।
ज्यूरिख और बेंगलुरु बेस वाली इस कंपनी ने 2014 में स्किल इंडिया अभियान शुरू होने पर कॉर्पोरेट सेक्टर में ट्रेनिंग की शुरुआत की, फिर नैशनल स्किल डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन और स्विस संस्थाओं के सहयोग से यह अब तक 5000 लोगों को स्विस कौशल क्षमता से लैस कर चुकी है।
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