अजमेर : कॉलेज और विश्वविद्यालयों के स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में अब कौशल विकास को जोड़ा जाएगा। देश-दुनिया की मांग के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार होंगे। यूजीसी ने सभी संस्थाओं को इसके निर्देश जारी किए हैं। केंद्रीय, राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों, डीम्ड विश्वविद्यालयों सहित कई कॉलेज में विज्ञान, वाणिज्य, कला, सामाजिक विज्ञान, चिकित्सा, तकनीकी और अन्य संकाय में स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित है। कई पाठ्यक्रमो में घिसे-पिटे पाठ्यक्रम पढ़ाए जा रहे है। यूजीसी ने ऐसे पाठ्यक्रमों में बदलाव करने को कहा है। उसका मानना है, कि पाठ्यक्रमों में नवाचार और अध्ययन-अध्यापन में तकनीकी इस्तेमाल जरूरी है।
कौशल विकास को दें बढ़ावा
यूजीसी का मानना है, कि सभी संकायों में औद्योगिक आवश्यकता, कौशल विकास, वैश्विक मांग, तकनीकी नवाचार जैसे बिन्दुओं का समावेश करना जरूरी है। कॉलेज और विश्वविद्यालयों को पाठ्यचर्या समिति (बोर्ड ऑफ स्टडीज) में विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञों को शामिल करना होगा। इससे पाठ्यक्रमों में प्रत्येक पहलुओं पर चर्चा हो सकेगी। सभी संकायों के पाठ्यक्रमों का नियमित मूल्यांकन भी किया जाएगा। इसमें शिक्षकों के साथ-साथ विद्यार्थियों, सामाजिक-औद्योगिक संस्थाओं, अन्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
अभी दायरा सीमित
मौजूदा वक्त ज्यादातर विश्वविद्यालयों में संकायवार शिक्षक ही पाठ्यक्रम तैयार करते हैं। पाठ्यक्रमों का वृहद स्तर पर मूल्यांकन नहीं होने, नवाचार के अभाव से विद्यार्थियों को खास फायदा नहीं मिल रहा। कॉलेज में व्यावसायिक और कौशल पाठ्यक्रम शुरू हुए हैं, पर इनकी संख्या बहुत कम है।
फैक्ट फाइल
- देश में केंद्रीय विश्वविद्यालय-47
- राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय-350
- डीम्ड विश्वविद्यालय-123
- निजी विश्वविद्यालय-239
- राज्यवार पंजीकृत कॉलेज-675</p>
(स्त्रोत: यूजीसी की वेबसाइट पर उपलब्ध सूची)
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