सरकार ने माना, मोदी राज में 60% घट गए नए जॉब्स के मौके

नई दिल्ली : मोदी सरकार नई नौकरियां पैदा करने में नाकाम रही है। इसका खुलासा लेबर मिनिस्ट्री की रिपोर्ट में किया गया है। मोदी सरकार के तीन साल से ज्यादा के कार्यकाल में नई नौकरियों के मौकों में 60 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है। इसका मतलब है कि जितनी नई नौकरियां 2014 में मार्केट में जनरेट हुई थीं उसकी तुलना में साल 2016 में 60 फीसदी से ज्यादा जॉब्स क्रिएशन में कमी आई है।

साल 2014 में मार्केट में 4.21 लाख नए जॉब्स पैदा हुए। वहीं साल 2015 में मात्र 1.35 लाख नई नौकरियां मार्केट में आईं। इसी तरह से 2016 में कमोबेश 1.35 लाख नए जॉब्स के अवसर पैदा हुए। पीएम मोदी ने देश के लोगों से यह वादा किया था कि उनकी सरकार इस तरह की पॉलिसी लेकर आएगी जिससे हर साल करीब 2 करोड़ नए जॉब्स मार्केट में लोगों को मिलेंगे।

अर्थशास्त्री सारथी आचार्य का कहना है कि नई नौकरियों में गिरावट आने की सबसे बड़ी वजह मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर ग्रोथ में तेज गिरावट है। पिछले 3 साल में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 10 से घट कर एक प्रतिशत रह गई है। इसका कारण है कि मार्केट में डिमांड नहीं है। जब डिमांड नहीं है तो इसका मतलब है कि खरीददारी नहीं हो रही है। ऐसे में कंपनियां को उत्पादन कम करना होगा। जब उत्पादन कम होगा तो फिर किस तरह से मार्केट में नए जॉब्स आएंगे।

स्किल डिवेलपमेंट स्कीम पर उठे सवाल

स्किल डिवेलपमेंट स्कीम पर सवाल उठने लगे हैं। इसके जरिए देश में व्यापक पैमाने पर जॉब मिलने की उम्मीद थी। बीते 3 साल में 30 लाख से अधिक नौजवानों को इस स्कीम के तहत ट्रेनिंग मिली लेकिन जॉब मिली तीन लाख से भी कम लोगों को। इस स्कीम के तहत 2016-20 के लिए सरकार ने 12,000 करोड़ का बजट अलॉट किया।

घटती गईं नौकरियां

साल            नई नौकरियां

2014           4.21 लाख
2015           1.35 लाख
2016           1.35 लाख

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