बिलासपुर छत्तीसगढ़ : बेरोजगार युवाओं को कौशल विकास की ट्रेनिंग देने के नाम पर जमकर फर्जीवाड़ा चल रहा है। राज्य शासन को धोखे में रखकर संस्थाओं ने अपना पंजीयन करा लिया है। उनके यहां न तो संसाधन है और न ही पर्याप्त कमरे। प्रशिक्षार्थी भी 10 से 20 प्रतिशत ही आ रहे हैं, जबकि पूर्व में दो से तीन बैच को प्रशिक्षण देने के नाम पर शासन से लाखों रुपए का भुगतान प्राप्त कर लिया गया है।
राज्य शासन ने बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कौशल विकास योजना लागू की है। इसके तहत युवाओं को मुफ्त में कंप्यूटर हार्डवेयर, इलेक्ट्रिकल, इंग्लिश स्पीकिंग, इलेक्ट्रिशियन डोमेस्टिक, कंप्यूटर एप्लीकेशन का प्रशिक्षण देना है। शासन द्वारा बनाए गए नियम की बात करें तो एक बैच के लिए कम से कम दो कमरे चाहिए। इसमें एक कमरे में थ्योरी की पढ़ाई और दूसरे कमरे में प्रैक्टिकल के सारे संसाधन मौजूद होने चाहिए, लेकिन जिले की कई संस्थाओं ने मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत बेरोजगारों को ट्रेनिंग देने के लिए पंजीयन कराते समय शासन को धोखे में रखा है। इनका फर्जीवाड़ा अब खुलकर सामने लगा है। कई संस्थाओं ने 6 से 9 बैच का पंजीयन कराया है, लेकिन इनके पास ट्रेनिंग देने के लिए तीन से चार कमरे ही हैं। ज्यादातर संस्थाओं ने पूर्व में दो से तीन बैच को ट्रेनिंग देने का प्रमाण पत्र भी पेश कर दिया।
केस-1
संदीपनी एकेडमी पेंड्री ने कंप्यूटर हार्डवेयर व इलेक्ट्रिशियन डोमेस्टिक का प्रशिक्षण देने के लिए पंजीयन कराया है। 23 जुलाई को यहां जब सहायक संचालक की टीम औचक निरीक्षण पर पहुंची तो कंप्यूटर हार्डवेयर के पंजीकृत 60 में से 11 और इलेक्ट्रिशियन डोमेस्टिक के एक बैच में 18 में से सिर्फ एक प्रशिक्षार्थी मिला। संस्था में कंप्यूटर हार्डवेयर की उपस्थिति रजिस्टर नहीं थी। इलेक्ट्रिशियन डोमेस्टिक की रजिस्टर में प्रशिक्षणार्थियों की अनुपस्थिति दर्ज नहीं की गई थी। प्रशिक्षणरत बैच की जानकारी भी सूचना बोर्ड में नहीं लगाई गई थी।
संदीपनी एकेडमी का साढ़े चार लाख का बिल रोका
पेंड्री, मस्तूरी ब्लॉक के संदीपनी एकेडमी ने तीन बैच का प्रशिक्षण पूरा करने का दावा करते हुए जिला कौशल विकास प्राधिकरण के सहायक संचालक के पास करीब साढ़े चार लाख रुपए का बिल पेश किया था। परीक्षण में पता चला कि बिल में एक ही व्यक्ति के कई जगह पर हस्ताक्षर हैं।
प्रत्येक घंटे के लिए मिलते हैं 30 रुपए
संस्था को एक बेरोजगार को ट्रेनिंग देने के एवज में शासन की ओर से 30 रुपए दिए जाते हैं। एक व्यवसाय का प्रशिक्षण कम से कम 200 घंटे और अधिकतम 500 घंटे है। इस हिसाब से एक बेरोजगार को ट्रेनिंग देने के एवज में पंजीकृत संस्था को कम से कम 6 हजार रुपए का भुगतान किया जाता है।
बायोमैट्रिक मशीन को कर दिया खराब
राज्य शासन ने फर्जीवाड़ा रोकने के लिए प्रशिक्षणार्थियों की हाजिरी बायोमैट्रिक से लेने का नियम बनाया है। इसके अलावा रजिस्टर में रोजाना हाजिरी दर्ज की जानी है। कई संस्थाओं ने फर्जीवाड़ा करने के लिए बायोमैट्रिक मशीन को खराब कर दिया है। सिर्फ रजिस्टर में मनचाहे नाम भरकर ट्रेनिंग की खानापूर्ति की जा रही है।
केस-2
3 कमरे में 9 बैच का प्रशिक्षण
सीपत स्थित आइडियल इंफोटेक ने राज्य शासन से 9 बैच में कंप्यूटर का प्रशिक्षण देने के लिए पंजीयन कराया है। वहां भी सहायक संचालक की टीम ने 23 जुलाई को छापा मारा। इस दौरान एक भी प्रशिक्षार्थी नहीं मिला। संचालक ने शनिवार होने के कारण छुट्टी देने की बात कहते हुए सफाई दी। निरीक्षण करने पर पता चला कि संस्था के पास मात्र तीन कमरे हैं, जो 9 बैच के हिसाब से काफी कम है। पूछताछ करने पर पता चला कि वहां तीन-चार बैच की ट्रेनिंग हो चुकी है। इसके एवज में उसे साढ़े तीन लाख का भुगतान भी हो चुका है।
सीधी बात : सहायक संचालक, जिला कौशल विकास प्राधिकरण
कौशल विकास की आड़ में फर्जीवाड़ा होने की जानकारी है?
– हां, पिछले दिनों निरीक्षण में इसकी जानकारी हुई।
निरीक्षण के दौरान क्या-क्या कमियां पाई गईं?
– संदीपनी में आधे से भी कम प्रशिक्षार्थी मिले, जबकि सीपत की संस्था में एक भी प्रशिक्षार्थी नहीं था। यहां 9 बैच संचालित है, लेकिन कमरे पर्याप्त नहीं है।
इन संस्थाओं पर क्या कार्रवाई की जा रही है?
– अभी कलेक्टर ने इनको नोटिस दिया है। जवाब आने के बाद रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
फर्जीवाड़ा रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
– बायोमैट्रिक्स मशीन को शासन की वेब पोर्टल से जोड़ दिया गया है। अब इसी के आधार पर भुगतान किया जाएगा।
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