पोल्ट्री सलाहकार परिषद की पहली बैठक में पोल्ट्री उद्योग क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा युवाओं को कुशल बनाने पर जोर दिया गया। युवाओं के कौशल विकास की दिशा में पोल्ट्री, मत्स्य और पशुधन व डेयरी क्षेत्र ने कौशल विकास में अहम भूमिका निभाई है। सरकार, उद्योग और प्रशिक्षण संस्थानों के बीच समन्वय बनाकर युवाओं को कुशल बनाने पर चर्चा हुई। पोल्ट्री सलाहकार परिषद की पहली बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थान, पशु चिकित्सा व अनुसंधान संस्थानों के समेत सभी संबद्ध संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
अंडे के उत्पादन में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है, जबकि पोल्ट्री मीट उत्पादन के मामले में पांचवां सबसे बड़ा है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में पोल्ट्री उद्योग पारंपरिक व संगठित तौर पर चलाया जाता है। सामान्य तौर पर देश में पोल्ट्री उद्योग स्वतंत्र और लघु उद्योग के रूप में विकसित है। पशुधन, डेयरी, पोल्ट्री मत्स्य विभाग के संयुक्त सचिव संजय भूसरेड्डी ने बैठक में बताया कि बढ़ती मांग को देखते हुए इस क्षेत्र में 16 लाख से अधिक रोजगार सृजित होंगे। इसमें भी 80 फीसद रोजगार सीधे फार्म में सृजित होंगे, जबकि बाकी 20 फीसद पशु चारा, फार्मास्युटिकल्स, उपकरण और अन्य जरूरी सेवाओं से पैदा होंगे।
लगभग इतने ही लोगों को इसकी मार्केटिंग व अन्य क्षेत्र की सेवाओं में संलग्न हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की आय के साथ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने का प्रमुख जरिया बनकर यह क्षेत्र उभरा है। ग्रामीण संपन्नता के लिए यह एक बड़ा महत्त्वपूर्ण साधन बन गया है। भारतीय कृषि कौशल परिषद के सीईओ डाक्टर सतेंदर आर्य ने इससे जुड़े सभी पक्षकारों से इस क्षेत्र को विकसित करने में अपनी भूमिका सुनिश्चित करने को कहा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों का पलायन रोकने में मदद मिलेगी। बैठक में चर्चा के दौरान कौशल विकास को वैश्विक स्तर का बनाने पर जोर दिया गया। भूसरेड्डी ने संबंधित पक्षकारों से ग्रामीण युवाओं को कुशल बनाकर उत्पाद की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने में मदद ले सकते हैं।
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