कौशल विकास एवं प्रशिक्षण निदेशालय मध्यप्रदेश के निदेशक सी बी चक्रवर्ती ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में विजुअल डिजाइन की बहुत जरूरत है। खासकर विज्ञान और तकनीक एवं कौशल विकास प्रशिक्षण की गुणवत्ता विजुअल डिजाइन के माध्यम से बढ़ाई जा सकती है। कोई भी व्यक्ति ग्राफिक्स और एनिमेशन के जरिए बहुत तेजी से सीखता है।
यह विचार चक्रवर्ती ने ‘विजुअल डिजाइन’ पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के समापन सत्र में आज व्यक्त किए। कार्यशाला का आयोजन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के नवीन मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से किया गया। समापन सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने की।
कई उदाहरणों के जरिए चक्रवर्ती ने विजुअल डिजाइन के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे हम विजुअल शिक्षण की ओर बढ़ रहे हैं।
स्कूल से लेकर घरों तक बच्चे अब एनिमेशन और ग्राफिक्स तकनीक के आधार पर तैयार की गई कविताओं को देख-सुन कर सीख रहे हैं। इसलिए विजुअल डिजाइनरों को शिक्षा के क्षेत्र में भी अधिक ध्यान देना चाहिए। विज्ञान और तकनीक के अध्ययन-अध्यापन को आसान बनाने में विजुअल डिजाइनिंग हमारी मदद कर सकती है। डिजाइनिंग के जरिए हम अपना बेहतर करियर बनाने के साथ ही देश के विकास में योगदान भी दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि विजुअल डिजाइन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में करियर की बहुत संभावनाएं हैं।विश्व विद्यालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि अच्छा डिजाइनर बनने के लिए तीन प्रमुख गुण होने चाहिए।
डिजाइनर को अच्छा विजुअलाइजर होना चाहिए। यानी वह बहुत अच्छा कल्पनाशील हो। उसे रचनात्मक होना चाहिए। वह नवाचारी भी हो। इन तीन गुणों वाला डिजाइनर ही श्रेष्ठ डिजाइन तैयार करता है।उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण देने वाले लोगों को भी इस प्रकार की शिक्षा देने में निपुण बनाना होगा, जो सीखने को सहज बना सके। शिक्षा का डिजाइन भी चरणबद्ध होना चाहिए। ताकि विद्यार्थी सीखते-सीखते अपना पाठ्यक्रम पूरा करे।इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव लाजपत आहूजा ने विद्यार्थियों से कहा कि यदि कालजयी डिजाइन बनाना चाहते हैं तो कालजयी सोच बनानी पड़ेगी। इसके लिए शिक्षण-प्रशिक्षण अत्यंत आवश्यक है।
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