शिमला : हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की ओर से परिचालकों को दिया जा रहा कौशल विकास प्रशिक्षण (skill development training) कार्यक्रम गंभीर सवालों में आ गया है। लाइसेंसधारक परिचालकों को प्रशिक्षण के तौर पर 120 रुपये रोजाना दिए जा रहे हैं। परिवहन निगम प्रबंधन के पास ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत किसी को प्रशिक्षण दिया जा सके। अभी तक निगम की ओर से ढाई हजार लोग प्रशिक्षण ले चुके हैं।
एचआरटीसी के पास प्रशिक्षण संस्थान नहीं है, जहां पर कौशल विकास (skill development) का प्रशिक्षण प्रदान किया जा सके। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि प्रदेश सरकार की वर्ष 2013 में शुरू की गई कौशल विकास प्रशिक्षण योजना में परिचालक श्रेणी को प्रशिक्षण देने की कोई व्यवस्था ही नहीं है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कौशल विकास योजना के तहत 603 कोर्स सूचीबद्ध किए हैं। इनमें प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों को हर माह इसकी एवज में मासिक खर्च भी दिया जाता है। प्रदेश सरकार इसी योजना का अनुसरण कर रही है। राज्य श्रम एवं रोजगार विभाग की अधिसूचित सूची में परिचालक श्रेणी इसमें शामिल नहीं है। केंद्र सरकार ने हिमाचल को इस योजना के तहत 650 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया है।
ढाई हजार ले चुके हैं प्रशिक्षण – हिमाचल पथ परिवहन निगम में परिचालकों को कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है। निगम प्रबंधन की ओर से प्रशिक्षण के लिए लाइसेंस की शर्त रखी गई है। परिणामस्वरूप अभी तक ढाई हजार लोग प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।
परिवहन निगम के पास ऐसे कोई भी संस्थान नहीं हैं जो मान्यता प्राप्त हों। इसलिए परिचालकों को दिया जा रहा प्रशिक्षण भी वैद्य नहीं है। परिणामस्वरूप सभी परिचालक निगम के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत निगम की बसों में ढाई माह तक सेवाएं नहीं दे सकते हैं। हिमाचल पथ परिवहन निगम अपने स्तर पर परिचालक श्रेणी के लिए प्रशिक्षण दे रहा है। इसके लिए कोई पैसा नहीं लिया जाता है। हां, प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लोगों को रोजाना 120 रुपये का भत्ता दिया जाता है। प्रशिक्षण प्राप्त परिचालक किसी भी क्षेत्र में सेवाएं देने के लिए पात्र हैं – एमआर भारद्वाज, कार्यकारी निदेशक परिवहन निगम।
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