पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के बजट में कौशल विकास पर अधिक जोर देने का निर्णय, 56000 लोगों को दिया जायेगा प्रशिक्षण

पटना (बिहार) : नये वित्तीय वर्ष में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपये खर्च करेगा। वित्तीय वर्ष 2015-16 में 135 करोड़ रुपये की योजना बनी थी। नये वित्तीय वर्ष के लिए बन रहे बजट में कौशल विकास पर अधिक जोर देने का निर्णय लिया गया है। राज्य में दुधारू पशुओं की प्रजाति विकसित करने के लिए 50 लाख गाय और भैंस में कृत्रिम गर्भाधान का लक्ष्य तय किया गया है।

अब तक किसी भी साल में 15-16 लाख से अधिक पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान नहीं हाे पाता है। इसकी वजह से राज्य में अन्य राज्यों की अपेक्षा दूध उत्पादन में राज्य छलांग नहीं लगा सका है।

अधिकारी ने बताया कि पारा वेटनेरियन की प्रशिक्षण से राज्य में पशुपालन को लाभकारी बनाना संभव होगा। प्रशिक्षित पारा वेटनेरियन से पशुओं की छोटी-मोटी बीमारी की आसानी से इलाज संभव हो सकेगा। विभाग के बजट बनाने में जुटे अधिकारी ने बताया कि नये वित्तीय वर्ष में पशुओं के इलाज के लिए पारा वेेटनेरियन को प्रशिक्षण पर जोर दिया जायेगा। अधिकारी ने बताया कि तय किया गया है कि राज्य में 56 हजार लोगों को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जायेगा। इससे राज्य के पशुपालकों को प्रशिक्षित पारा वेटनेरियन मिलेगा। प्रशिक्षण के लिए श्रम संसाधन विभाग से पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की सहमति बन चुकी है। अधिकारी ने बताया कि प्रशिक्षण के लिए दस करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

समेकित मुर्गी, बकरी, भेड़ पालन पर 33 करोड़ होंगे खर्च : राज्य में निचले स्तर पर रोजगार पैदा करने, लोगाें में कुपोषण को दूर करने और गरीबों की आमदनी को आसानी से बढ़ाने के लिए इस साल समेकित मुर्गी पालन के साथ बकरी और भेड़ पालन की योजना को सख्ती से लागू की जायेगी। इसके लिए 33 करोड़ रुपये का आवंटित करने का निर्णय लिया गया है।

अधिकारी ने बताया कि समेकित मुर्गी पालन को बढ़ावा के लिए 22 करोड़ और बकरी और भेड़ पालन के लिए 13 करोड़ खर्च करने की तैयारी की गयी है। बजट में वेटनरी लाइफ साइंस विवि की स्थापना के लिए दस करोड़, सूगर विकास योजना पर दस करोड़, केंद्र प्रायोजित येाजनाओं के तहत पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत टीकाकरण के लिए 23 करोड़, पशुधन प्रबंधन कार्यक्रम के तहत 25 करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी की जा रही है।

पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के निदेशक राधे श्याम साह ने कहा कि इस साल सभी योजनाओं को समय पर शुरू करने की तैयारी की गयी है। इसमें खासकर पारा वेटनेरी प्रशिक्षण, पशुओं में पांच टीकाकरण, 50 लाख पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान, मुर्गी, बकरी, भेड़ आैर सूगर पालन को बढ़ावा दिया जायेगा। निदेशक ने बताया कि आज भी राज्य की जीडीपी में पशुपालन का सबसे अधिक योगदान है। इसी के मद्देनजर पशुपालन की छोटी-छोटी योजनाओं को पूरा कर राज्य के गरीबों के जीवन स्तर को ऊंचा किया जायेगा। उन्होंने कहा कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल कम से कम 15 से 20 करोड़ अधिक का बजट होगा।

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