बिहार में कौशल विकास योजना से निवेशकों का मोह भंग, 200 प्रखंडों में कोई भी निजी एजेंसी प्रशिक्षण केंद्र खोलने को नहीं तैयार

पटना : बिहार सरकार को अपनी कौशल विकास योजना में निजी निवेशकों की बेरुखी का सामना करना पड़ रहा है। राज्य में करीब 200 प्रखंडों में कोई भी निजी एजेंसी प्रशिक्षण केंद्र खोलने को तैयार नहीं है। इसके अलावा कुछ में तो सरकारी एजेंसियों ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं।

पिछले साल विधानसभा चुनाव के वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘7 निश्चय’ जनता के सामने रखा था। इनमें से एक निश्चय युवाओं को कंप्यूटर और अंग्रेजी व हिंदी में बातचीत का बुनियादी प्रशिक्षण देने का था।

चुनाव जीतने के बाद राज्य सरकार ने इसे अपने निश्चय के रूप में स्वीकार किया है। इसके लिए राज्य सरकार ने चालू वित्त वर्ष के अपने बजट में करीब 1,200 करोड़ रुपये की भी मंजूरी दी है। इसके तहत राज्य सरकार ने सभी प्रखंडों में निजी और सरकारी प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने का फैसला लिया। अक्टूबर में मुख्यमंत्री ने ‘कुशल युवा’ के नाम से इस योजना की औपचारिक शुरुआत की जबकि इस बारे में प्रशिक्षण केंद्रों की शुरुआत बीते महीने के मध्य में की गई। हालांकि इस बारे में दूरदराज के इलाकों में निजी एजेंसियों की बेरुखी राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय साबित हो रहा है।

राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक उसे इस बारे में पहले चरण में करीब 12,000 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 5,000 को प्रशिक्षण केंद्र शुरू करने के लिए चुना गया।

राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक नवंबर के अंत तक करीब 1,400 केंद्र खुल चुके हैं, जहां करीब 18,594 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें से 936 निजी एजेंसियों के हैं। श्रम विभाग के सूत्रों के मुताबिक बाकी के केंद्र भी अगले साल से चालू हो जाएंगे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक तक 534 में से 532 प्रखंडों में केंद्र खुल भी चुके हैं।

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