पटना : बिहार में कौशल विकास को लेकर काफी जोर दिया जा रहा है। कौशल विकास के प्रशिक्षण को लेकर बिहार कई जिलों एवं प्रखंडों में आईटीआई खोले गये हैं। सरकार की सकारात्मक सोच के बाद भी अफसरों की लापरवाही से आईटीआई सेंटरों की हालत कुछ और ही है। राज्य में महिला आईटीआई, सामान्य आईटीआई एवं उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित आईटीआई की कुल संख्या 146 है। विडंबना ये है कि 90 से अधिक आईटीआई में पढ़ाने वाले एक भी अनुदेशक पदस्थापित नहीं है।
कुल मिलाकर इन सेंटरों में प्रशिक्षण के नाम पर नवयुवकों एवं नवयुवतियों को केवल प्रवेश दिये गये हैं। जानकारों के मुताबिक ल युवाओं के साथ ये एक तरह से धोखाधड़ी है। बिहार राज्य औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ के महासचिव प्रेमचंद कुमार सिन्हा ने कहा कि 75-76 आईटीआई में तो अनुदेशक तो दूर कर्मचारी तक नहीं है।
कई आईटीआई में ट्रेड है लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं
प्रेमचंद कुमार सिन्हा ने कहा कि आईटीआई में इलेक्ट्रीशियन, फिटर, टर्नर, मशीनिष्ठ, वायरमैन, मोल्डर, वेल्डर, मेकैनिक, इलेक्ट्रॉनिक्स, आईसीटीएसएम, ड्राफ्ट्समैन, मेकैनिक सिविल, सर्वेयर, पलंबर, मोटर मेकैनिक ऑटो बाडी पेंटिंग आदि ट्रेडों में प्रशिक्षण प्राप्त होता है, लेकिन इस तरह के कई ट्रेडों में पढ़ाने वाला कोई नहीं है। स्टूडेंट्स जैसे-तैसे प्रशिक्षण ले रहे हैं।
नहीं मिल रही प्रोन्नति, अनुदेशक संवर्ग बन सकते हैं उपप्राचार्य
अध्यक्ष विनय कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार के आदेश के बावजूद अनुदेशकों के ग्रेड वेतन 4600 रुपये नहीं दे रही है, न अनुदेशक संवर्ग के वरीय कर्मी (ग्रुप अनुदेशक) को उप प्राचार्य में प्रोन्नति दी जा रही है।
सरकार के स्पष्ट आदेश के बावजूद योग्य कर्मियों को सितंबर 2015 के बाद एमएसीपी का लाभ भी नहीं दिया जा रहा है, जबकि प्रतिवर्ष दो बार उक्त लाभ देने हेतु बैठक आयोजित करने का आदेश है। न ही योग्य कर्मियों को प्रोन्नति दे रही है। विभागीय मंत्री महोदय एवं विभागीय प्रधान सचिव तथा निदेशक महोदय द्वारा विभाग में एक भी सकारात्मक कार्य अथवा कर्मचारी हित का कोई भी कार्य नहीं किया जा रहा है।
2400 में केवल 238 कर रहे नियमित रूप से काम
वर्ष 2010 से विभाग में अनुदेशकों की एक भी नियुक्ति नहीं की गयी है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत वर्ष 2016 के अंत में 1200 अतिथि अनुदेशकों की नियुक्ति की गयी थी, लेकिन 11 मई 2018 को उन्हें भी बिना कोई कारण हटा दिया गया।
जिससे आईटीआई लगभग अनुदेशक विहीन हो गया। संघ के अध्यक्ष और सचिव ने कहा कि अनुदेशकों की स्वीकृति संख्या करीब 2400 है, लेकिन कार्यरत बल मात्र 450 है, जिसमें 238 नियमित एवं 212 संविदा अनुदेशक शामिल हैं।
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