बेरोजगार युवाओं में रोजगार के सपने अंकुरित करने वाली प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना प्लेसमेंट के पेच में फंस गई है। मामले को यूं समझें, राज्य में 1.15 लाख युवाओं ने हुनर सीखने के लिए केंद्रों में नामांकन कराया, इनमें 39% को ही काम मिला। नियम कहता है कि किसी केंद्र पर प्रशिक्षण पाने वाले 70% प्रशिक्षुओं को काम दिलवाने के बाद ही संबंधित केंद्र को पूर्ण भुगतान मिलेगा। दूसरा बैच एलॉट होगा। कतिपय केंद्र ही इस बाउंड्री लाइन को छू पाए हैं। टारगेट हासिल नहीं कर पाने वाले 70% केंद्रों के शटर गिर चुके हैं। योजना का दूसरा पहलू यह भी है कि कम पगार वाली नौकरियां युवाओं में आकर्षण पैदा नहीं कर पा रहीं, लिहाजा प्लेसमेंट के महीने-दो महीने के भीतर ही वे काम को प्रणाम कर लौट रहे हैं। बक्सर को ही नजीर मानें तो यहां 2500 में से 1500 का प्लेसमेंट हुआ, जिनमें 1300 युवा किसी न किसी कारणवश घर लौट गए। योजना के स्टेट कंपोनेंट का आलम है कि यह अभी ठीक से शुरू ही नहीं हुआ है, अभी तीन ट्रेनिंग पार्टनर ने ही काम प्रारंभ किया है जबकि 2016-20 के बीच 89,664 युवाओं को हुनरमंद बनाना है।
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