पटना : उच्च शिक्षा में सकारात्मक बदलाव हों, पाठ्यक्रम रोजगार परक हों, विद्यार्थी रोजगार योग्य हों, इसके लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। एक बड़ी योजना विद्यार्थियों के कौशल विकास की है, जिसके जरिए विद्यार्थियों को रोजगार योग्य बनाया जाता है। लेकिन कौशल विकास की योजनाओं को अपनाने में बिहार के आंकड़े निराश करनेवाले हैं। बिहार इन योजनाओं का लाभ उठाने में 12वें स्थान पर है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि पिछले तीन वर्षों में बिहार में कौशल विकास के केंद्रों और पाठ्यक्रमों के प्रति उदासीनता रही है। यूजीसी ने कॅरियर ओरिएंटेड कोर्स की शुरुआत की जिसमें दर्जनों पाठ्यक्रम हैं। लेकिन बिहार में अब तक सिर्फ 15 पाठ्यक्रमों की ही शुरुआत हो सकी है।
तीन वर्षों में जारी हो चुके हैं 326.35 करोड़
कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को उच्च शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए यूजीसी वित्तीय सहायता भी देता है। इसके तहत 2014-15 से 2016-17 तक तीन वर्षों में अब तक 326.35 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। इसमें 96.00 करोड़ रुपए कम्युनिटी कॉलेज के मद में दिए गए हैं, जबकि बी-वोक संस्थानों को 122.51 करोड़ रुपए और डीडीयू कौशल केंद्रों को 107.63 करोड़ रुपए दिए गए हैं। बिहार के संस्थान चाहते तो इनका लाभ उठा सकते थे। लेकिन योजनाओं का लाभ उठा पाने में राज्य के संस्थान सफल नहीं हो पा रहे हैं। हालांकि दो साल पहले जब यूजीसी ने आवेदन मंगाया था तो बिहार के 38 संस्थानों ने आवेदन दिया था। लेकिन बिहार के किसी विश्वविद्यालय या कॉलेज को कौशल विकास की शिक्षा देने के योग्य नहीं माना गया।
यूजीसी द्वारा कौशल विकास योजनाओं पर खर्च
स्कीम | 2014-15 | 2015-16 | 2016-17 |
कम्युनिटी कॉलेज | 35.89 | 33.36 | 22.68 |
बी-वोक डिग्री संस्थान | 80.64 | 31.87 | 10.00 |
डीडीयू कौशल केंद्र | —— | 98.70 | 8.93 |
राज्य | कॅरियर ओरिएंटेड कोर्स | कम्युनिटी कॉलेज | बी-वोक कोर्सेज | डीडीयू केंद्र |
महाराष्ट्र | 165 | 35 | 37 | 06 |
असम | 53 | 27 | 13 | 02 |
केरल | 48 | 19 | 15 | 03 |
तमिलनाडु | 38 | 14 | 13 | 10 |
पंजाब | 39 | 13 | 17 | 03 |
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