कौशल विकास ट्रेनिंग सेंटर की अनुमति देने के लिए रिश्वत मांगने का अारोप, 10 फीसदी मांगा कमीशन

महासमुंद (छत्तीसगढ) : कौशल विकास ट्रेनिंग सेंटर की अनुमति देने में रिश्वतखोरी का मामला सामने आया है। जिले में एक हजार से अधिक युवाअों का सर्वे कर चुके रायपुर ट्रेनिंग एकेडमी के संचालक ने सहायक संचालक पर रिश्वत मांगने का अारोप लगाया है।

कलेक्टर से मुख्यमंत्री तक शिकायत के बाद जांच भी हुई, जिसमें अफसर की ओर से गड़बड़ी करना पाया गया, बावजूद इसके एक महीने बाद भी कार्रवाई नहीं हुई है।

कौशल विकास के तहत जिले के बेरोजगार युवक-युवतियों को स्व-रोजगार स्थापित कराने की दिशा में काम किया जा रहा है। योजना का क्रियान्वयन करने अफसरों की ओर से उन्हीं लोगों को बार-बार काम दिया जा रहा है, जो सही समय पर कमीशन पहुंचा रहे हैं।

शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में 80 ट्रेनिंग सेंटर में 1840 बेरोजगारों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। समय पर दक्षिणा नहीं देने वाले 24 संचालक सेंटरों को आ रही परेशानियों के कारण उन्होंने सेंटर चलाने से हाथ खड़े कर दिया है।

एक हजार बेरोजगारों का सर्वे : रायपुर ट्रेनिंग एकेडमी के संचालक संजय कुमार भास्कर ने बताया कि झलप क्षेत्र में एक हजार बेरोजगार युवक-युवतियों का सर्वे किया गया है। अधिकारियों ने स्थल निरीक्षण किया। सेंटर खोलने की अनुशंसा के लिए उनसे 10 फीसदी यानि 50 हजार रुपए एडवांस मांगा। रकम नहीं देने पर फाइल को रोक दिया। शिकायत के बाद सहायक संचालक ने दोबारा स्थल निरीक्षण करने का पत्र जारी किया, जो नहीं मिला।

रिपोर्ट पेश होने के बाद फाइल रुकी हुई है

मुख्यमंत्री व कौशल विकास प्राधिकरण में शिकायत के बाद छत्तीसगढ़ शासन कौशल विकास, मंत्रालय ने 20 दिसंबर को जांच के निर्देश दिए। जिला पंचायत ने टीम गठित कर उपसंचालक एमएम नाग, केपी गायकवाड़, सालिकराम बेलदार, पवन कुमार सिंह से जांच कराई। जांच टीम ने 29 दिसंबर को रिपोर्ट पेश की। इसमें स्थल निरीक्षण में तारीख नहीं होने के साथ लंबे समय से फाइल रोकना पाया गया। एक महीने बाद भी कार्रवाई नहीं हो पाई है।

निरीक्षण में दस्तखत, लेकिन तारीख नहीं

एकेडमी ने (वीटीपी) ट्रेनिंग सेंटर खोलने 11 अप्रैल को सहायक संचालक को प्रस्ताव दिया। विभाग के अफसरों ने 11 अप्रैल को स्थल निरीक्षण किया। इसमें परियोजना अधिकारी महिला बाल विकास, अनुविभागीय ग्रामीण यांत्रिकी व कौशल विकास के सहायक संचालक अशोक साहू ने सेंटर खोलने अनुशंसा की। अफसरों ने गड़बड़ी करते हुए फार्म में दिनांक ही अंकित नहीं की। इस दौरान 50 हजार कमीशन की मांग करते हुए फाइल को रोक दिया।

गड़बड़ी के चलते 12 हजार वेटिंग

विभाग के पोर्टल के अनुसार जिले में 2013 से अब तक 5646 लोगों को कौशल विकास के लिए प्रशिक्षित किया गया। एक व्यक्ति को प्रशिक्षित करने में 19500 रुपए खर्च आता है। अब तक 10 करोड़ से भी अधिक रकम खर्च की जा चुकी है। हालत यह है कि जिले में 104 सेंटर का पंजीयन है। इसमें से 24 सेंटर इसलिए बंद है कि वे रिश्वत देने तैयार नहीं हैं। फिलहाल 13365 हितग्राहियों ने कौशल विकास प्रशिक्षण लेने पंजीयन कराया है, लेकिन 1840 को ही प्रशिक्षण मिल पा रहा है।

अशोक साहू, सहायक संचालक, कौशल विकास प्राधिकरण ने मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि एक बार स्थल निरीक्षण हो जाने से यह मानना गलत है कि उन्हें सेंटर खोलने की अनुमति मिल गई। दस्तावेज की बार-बार जांच की जाती है। दोबारा भी स्थल निरीक्षण के लिए लिखा था, जिसका जवाब नहीं मिला।

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