चंडीगढ़ : मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को अमृतसर, पटियाला व फरीदकोट के मेडिकल कॉलेजों में स्थापित कौशल विकास केंद्रों के कामकाज की उच्च स्तरीय जाँच के आदेश दिए हैं। इन कौशल केंद्रों में 18 करोड़ रुपये की लागत से उपलब्ध करवाई गई सुविधाओं का लाभ प्रशिक्षणार्थियों को नहीं दिया जा रहा था। इस संबंध में जाच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी में प्रमुख सचिव मेडिकल शिक्षा और अनुसंधान संजय कुमार, सचिव कौशल विकास मिशन भावना गर्ग व चिकित्सा अनुसंधान शिक्षा के निदेशक अनीश कुमार शामिल हैं।
इन कौशल केंद्रों को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि यहा पर प्रशिक्षणार्थियों को करोड़ों की मशीनरी का लाभ ही नहीं उपलब्ध करवाया जा रहा है, क्योंकि यहा पर कोई छात्र ही नहीं है। जिन निजी कंपनियों को कौशल विकास केंद्र चलाने के लिए महत्वपूर्ण सरकारी जमीन दी गई थी, समझौते की शर्तो का उल्लंघन कर रही हैं। पीआइएमएस ने पटियाला, अमृतसर और फरीदकोट में मेडिकल के क्षेत्र में ट्रेनिंग के लिए बुनियादी सुविधाओं के विकास को लेकर प्रत्येक केंद्रों में 6 करोड़ रुपये का निवेश किया है। स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा ने पंजाब यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीआइएमएस) की 36वीं गवर्निग बॉडी की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री को इस संबंध में जानकारी दी थी।
मुख्यमंत्री ने सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड केलीब्रेशन लेबोरेट्रीज (एनएबीएल ) के मापदंड लागू करने का सुझाव भी स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार छात्रों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा देने के लिए वचनबद्ध है। किसी को भी उनके भविष्य को खतरे में डालने की इजाजत नहीं दी जाएगी। मौके पर पीआइएमएस सोसाइटी के निदेशक के रूप में डॉ. विमल सीकरी की नियुक्ति को स्वीकृति दे दी गई है।
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