राजनांदगांव : पुरुषों से किसी भी मामले में महिलाएं कम नहीं हैं। मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत टेड़ेसरा की 60 महिलाओं ने कन्नी-साहुल लेकर तैयार है। इन महिलाओं को रोज 4 से 5 घंटे राजमिस्त्री का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
पुरुषों के वर्चस्व वाले राज मिस्त्री के काम में प्रशिक्षण लेकर महिलाओं का प्रवेश राजनांदगांव जिले में महिला सशक्तिकरण और नारीशक्ति के बढ़ते आत्मविश्वास का संभवत: प्रदेश में अपनी तरह का एक मात्र उदाहरण है। प्रशिक्षण के बाद इन महिलाओं को प्रतिष्ठित बिल्डरों, भवन निर्माता संस्थाओं और बड़े-बड़े काम करने वाले ठेकेदारों ने भी अपने संचालित निर्माण कार्यों में शामिल किया है। इन महिलाओं को प्रतिदिन औसतन 275 रुपए की दर से महीने में लगभग 7 से 8 हजार रुपए की निश्चित आय मिल रही है।
जमुना पहले खुद सीखी अब दूसरों को सिखा रही : टेड़ेसरा की जमुना बाई साहू ने गृहग्राम टेड़ेसरा में राजमिस्त्री प्रशिक्षण लिया और आज गांवों की अन्य महिलाओं को राजमिस्त्री प्रशिक्षण के लिए प्रेरित कर रही है। ग्राम टेड़ेसरा की अत्यंत गरीब परिवार के घरेलू कृषक महिला जमुना कक्षा आठवीं तक की पढ़ाई की है। जमुना बाई के पति प्रकाश साहू दिव्यांग होने की वजह से अपने परिवार एवं तीन बच्चों की परवरिश एवं पढ़ाई-लिखाई की जिमेदारी उनके कंधों पर है। जमुना शुरू से ही रोजमर्रा के कार्यों के अलावा कुछ अलग कर गुजरने की तमना रखती है। जमुना की प्रेरणा से दीपा साहू, जानकी निषाद, महेश्वरी, प्रमिला, सरस्वती और बसंती साहू जैसी कई महिलाएं भी अब राजमिस्त्री का प्रशिक्षण लेकर रोजगार से जुड़ रही हैं तथा अच्छा पैसा कमा रही हैं।
कौशल विकास कार्यक्रम के तहत महिलाओं ने राजमिस्त्री का प्रशिक्षण लिया।
गांव की 60 पंजीकृत महिलाएं घरेलू कामों को पूरा कर दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक प्रशिक्षण केन्द्र पहुंचकर प्रशिक्षण प्राप्त करते। प्रशिक्षण केन्द्र में ग्रामीण महिलाओं को बीई ड्रिग्रीधारी संतोष साहू ने कुशल एवं दक्ष किया। ये महिलाएं जोड़ाई, प्लास्टर, डिजाइन, ईंट बनाने के साथ-साथ सोक्ता शौचालय एवं सेपटिंक टैंक निर्माण जैसे राजमिस्त्री के कार्यों में प्रशिक्षित हो गई है। प्रशिक्षण प्राप्त कुछ महिलाएं 8-10 का समूह बनाकर जिले में संचालित निर्माण कार्य कर रही हैं।
प्रशिक्षित महिलाएं जीईरोड के किनारे करेंगी शौचालय निर्माण
राजनांदगांव-रायपुर के फोरलेन पर विभिन्न स्थानों पर स्वच्छता मिशन के तहत निर्मित होने वाले शौचालयों के निर्माण भी महिलाओं ही करेंगी। अब अपने और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए इन मेहनतकश महिलाओं की किसी और पर निर्भरता पूरी तरह से खत्म हो गई है। कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम से महिलाओं ने स्वालंबन की दिशा में नया कदम बढ़ाया है और वे जिले-प्रदेश की अन्य महिलाओं के लिए भी उदाहरण बन रही है।
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