रांची (झारखंड) : एक तरफ राज्य सरकार स्किल डेवलपमेंट के लिए प्रयासरत है और करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। वहीं दूसरी तरफ कृषि विभाग के अधिकारी अपने ही विभाग की ओर से चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों को सीरियस नहीं ले रहे हैं। कृषि विभाग के भूमि संरक्षण निदेशालय के तहत झारखंड एग्रीकल्चर एंड सोशल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (जैसमीन) में राज्य के हजारों किसानों को दिया जाने वाला भूमि संरक्षण तथा अन्य कृषि कार्यों से जुड़ा प्रशिक्षण पिछले नौ महीने से बंद है।
वह भी सिर्फ इसलिए की जैसमीन की गवर्निंग बॉडी (शासी परिषद) की बैठक नहीं हो सकी। अचरज की बात तो यह है कि अधिकारियों को जीबी की बैठक करने का समय ही नहीं मिला? और जैसमीन की सालभर की ‘कार्ययोजना’ फाइलों में ही बंद हो गई। जैसमीन के तीनों प्रशिक्षण संस्थानों में कोई प्रशिक्षण कार्य नहीं हो सका। यहां पदस्थापित अधिकारी और कर्मचारी भी बिना काम के वेतन ले रहे हैं। पड़ताल में यह भी पता चला कि यहां कुछ अधिकारियों का आपसी मनमुटाव काफी बढ़ गया है। इसी कारण ये सारे काम प्रभावित हो रहे हैं।
भूमि संरक्षण और वाटर शेड का देते हैं प्रशिक्षण
राज्यभरके किसानों को जैसमीन के माध्यम से भूमि संरक्षण के अलावा, जैविक प्रशिक्षण, धान, चना, धनिया, मटर, गेहूं, बागवानी आदि के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। तीनों प्रशिक्षण केंद्रों के प्रभारी वर्तमान में कार्ययोजना स्वीकृत होने के इंतजार में हैं, ताकि प्रशिक्षण कराया जा सके।
8 से 10 हजार किसानों का होता है प्रशिक्षण
जैसमीनके मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने अगस्त 2015 में ही तीनों केंद्रों के लिए कार्ययोजना तैयार कर गवर्निंग बॉडी की बैठक आयोजित करने के लिए फाइल सदस्य सचिव को भेजी थी। हालांकि इसके बाद भी बैठक नहीं हुई। इस कारण कार्ययोजना को मंजूरी नहीं दी गई है।
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