दिल्ली सरकार की उच्च शिक्षा छात्र ऋण योजना नहीं है केंद्र सरकार के ऋण सहायता योजना का हिस्सा

दिल्ली सरकार ने उच्च शिक्षा के छात्र ऋण योजना के संबंध में लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि यह केंद्र सरकार के ऋण सहायता योजना का हिस्सा नहीं है बल्कि दिल्ली सरकार की अपनी योजना है। स्वराज इंडिया ने आरोप लगाया था कि दिल्ली की आप सरकार ने डेढ़ सालों में केवल 97 छात्रों को ऋण दिया गया जिसमें से अपनी योजना के तहत केवल तीन विद्यार्थियों को ऋण दिया है, शेष को केंद्र सरकार की योजना के तहत ऋण मिला है।

स्वराज अभियान के लगाए गए आरोपों के जवाब में दिल्ली सरकार ने रविवार को बयान जारी कर कहा कि छात्र ऋण योजना के बारे में जानबूझ कर गलत जानकारी फैलाई जा रही है। सरकार ने कहा है कि वर्तमान वित्त वर्ष में अभी तक 100 आवेदकों को ऋण आबंटित किया गया है, जिसकी राशि कुल 3.55 करोड़ रुपए है। वहीं पिछले साल 2015-16 में 54 विद्यार्थियों को 1.52 करोड़ रुपए की राशि आबंटित की गई।

दिल्ली सरकार के बयान में आगे कहा गया है, ‘दिल्ली उच्च शिक्षा और कौशल विकास गारंटी योजना बिना किसी शर्त 10 लाख तक की मदद देती है। ऋण की राशि के लिए पहले से तय कोई स्लैब नहीं है। योजना के तहत दस लाख तक की किसी भी राशि का ऋण लिया जा सकता है। इस योजना के तहत ऋण का आवेदन एकल खिड़की के माध्यम से आॅनलाइन किया जा सकता है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में अभी तक करीब 400 आवेदन प्राप्त हुए हैं, 100 से ज्यादा आवेदकों को ऋण आबंटित किया जा चुका है, जिसकी राशि 3.55 करोड़ रुपए है’।

सरकार ने आगे स्पष्ट किया है कि कुल तीन विद्यार्थियों को 7.5 लाख रुपए से ज्यादा की ऋण राशि आबंटित की गई है, शेष ऋण की राशियां 7.5 लाख से कम की हैं। राज्य स्तरीय बैंकर्स कमिटी रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 के दौरान 54 छात्रों को ऋण सहायता दिया गया जिसकी राशि 1.52 करोड़ रू है।

दिल्ली सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि उपर्युक्त उल्लेखित ऋण राशि दिल्ली सरकार की शिक्षा ऋण योजना के तहत आबंटित की गई है, यह केंद्र सरकार की किसी योजना का हिस्सा नहीं है। स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम ने कहा कि स्वराज इंडिया ने आम आदमी पार्टी की सरकार से शिक्षा को लेकर कई गंभीर सवाल किए थे, लेकिन केवल बहुचर्चित ऋण योजना पर दिल्ली सरकार ने जवाब दिया है। अनुपम ने कहा कि जिस तरह मोदी जी ट्वीटर पर कालाधन ले आए, उसी तरह केजरीवाल ट्वीटर पर ही शिक्षा क्रांति ला रहे हैं।

स्वराज इंडिया ने सवाल किया था कि 500 नए स्कूल खोलने का वादा करने वाली आप सरकार ने दो साल में कुल 4 नए स्कूल खोले हैं, शिक्षा का ‘बंटाधार करने वाली पिछली सरकारों’ के आंकड़े भी इससे बेहतर होते थे। वहीं 20 नए कॉलेज का वादा करने वाली पार्टी की सरकार के दो साल में नए कॉलेज खुलना तो दूर दिल्ली में कॉलेजों की संख्या 85 से घटकर 84 हो गई। स्वराज इंडिया ने आरोप लगाए कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में विद्यार्थियों के नामांकन की संख्या में भी 28,000 की कमी आई है। साथ ही दिल्ली के 42,827 ईडब्लूएस कोटा सीटों में से 24,372 सीट खाली रहे अर्थात 57 फीसद को लाभ से वंचित रखा गया।

Note: News shared for public awareness with reference from the information provided at online news portals.