हिमाचल प्रदेश : एचआरटीसी मेंं कार्यरत प्रशिक्षु परिचालक प्रबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। सरकार ने कौशल विकास भत्ते के तहत युवाओं को प्रशिक्षण देने की घोषणा की। इसके बाद एचआरटीसी ने भी हजारों अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण दिया और उन्हें निगम की बसों में परिचालक के तौर पर नियुक्त किया। जबकि यह पहले से ही तय था कि इन प्रशिक्षु परिचालकों के लिए तो काेई पॉलिसी बनेगी और ही इनके वेतन में किसी तरह का इजाफा किया जाएगा।
प्रशिक्षुचालकों ने खोला माेर्चा : अब प्रशिक्षु परिचालकों ने सरकार के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। सरकार ने करीब साढ़े पांच हजार युवाओं को कौशल विकास भत्ते के तहत कंडक्टर का प्रशिक्षण दिया है। 75 दिन का प्रशिक्षण पूर्ण करने के बाद एचआरटीसी ने युवाओं से सेवाएं लेना शुरू कर दिया। प्रशिक्षित कंडक्टरों के मुताबिक उन्हें 15 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से मानदेय दिया जाता है।
दो महीने काम के बाद घर भेज देते हैं
करीबतीन साल से दिन रात काम करने के बावजूद सरकार उनके बारे में सोच नहीं रही एचआरटीसी गंभीर है। इनेस दो तीन महीने काम लिया जाता है और फिर घर भेज दिया जाता है। एचआरटीसी में कंडक्टरों के पद रिक्त होने के बावजूद उनकी नियमित नियुक्त नहीं की गई।
नई भर्ती के बजाए हमें रखें
अब सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या यह हो गई है कि किस तरह से इन प्रशिक्षु परिचालकों के मामले को सुलझाएं। इनका कहना है कि जो नई भर्ती निगम प्रबंधन करवा रहा है, उसे बंद कर दें। यानि नई भर्ती हो और उन्हें ही नियुक्ति दी जाए। जबकि प्रबंधन की मजबूरी यह है कि यदि वे नई भर्ती नहीं करवाते हैं तो अन्य जो युवा रोजगार की राह देख रहे है, उन्हें मौका नहीं मिलेगा। अब ये प्रशिक्षु परिचालक बसों में काम करने से भी इनकार कर रहे हैं। ऐसे में निगम को परिचालकों की कमी का सामना भी करना पड़ेगा। यही नहीं इनके हड़ताल पर जाने के कारण सैंकड़ों बसें भी खड़ी हो सकती है।
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