मीरजारपुर : प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी कौशल विकास योजना बेरोजगारों के लिए छलावा बन गई है। तीन साल पहले जब बेरोजगारी भत्ता को सरकार ने खत्म कर कौशल विकास योजना में बेरोजगारों को प्रशिक्षण देकर अधिक से अधिक रोजगार देने का वादा भी किया था। जिले के राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण केंद्र भी खोला गया। आंकड़ों पर गौर करें तो तीन साल में एक हजार छह सौ बेरोजगारों को प्रशिक्षण के बाद प्रमाण पत्र दिया गया। इनमें रोजगार मिला महज 43 को। तुर्रा प्रशिक्षण मद में 34 लाख रुपये खर्च हो गए लेकिन शासन से एक पैसा नहीं मिला। धन के अभाव में अब प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने में दिक्कत हो रही है। जिलाधिकारी की ओर से कई बार शासन को पत्र भेजकर धन की मांग की गई। यह दीगर बात है कि शासन ने कोई जवाब नहीं दिया।
प्रशिक्षण के बाद बेरोजगार काट रहे चक्कर : प्रमाण पत्र लेने के बाद बेरोजगार नौकरी व रोजगार की तलाश में तहसील दिवस, डीएम व आयुक्त कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं। उन्हें निराशा ही हाथ लगती है। बुधवार को बेरोजगारों का प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी से मिलकर समस्या से अवगत भी कराया। कहा जब रोजगार नहीं देना है तो प्रशिक्षण से क्या फायदा। उनका समय भी बर्बाद हो रहा है और प्रमाण पत्र के सिवाय कुछ हासिल नहीं हो सका। बेरोजगारी भत्ता बंद कर कौशल विकास योजना का झुनझ़ुना सरकार बेरोजगारों को थमा रही है। आने वाले चुनाव में सरकार को यह सब महंगा पड़ेगा। इधर, आइटीआइ के प्राचार्य ने बताया कि 34 लाख रुपये बकाया हो चुका है। इस राशि के लिए पत्र जिलाधिकारी के स्तर से कई बार शासन को भेजा गया। धन न मिलने से दिक्कत हो रही है।
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